फेफड़ों का ‘साइलेंट किलर’ COPD को समझें: — लक्षण, जाँच और इलाज जिन्हें नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए
भारत में प्रदूषण, धुआँ, धूल और तंबाकू की वजह से COPD बहुत तेजी से बढ़ रहा है। इसके लक्षण, जाँच, इलाज और रोज़ाना की देखभाल को सरल भाषा में समझें।
हर साल वर्ल्ड COPD डे मनाया जाता है ताकि इस गंभीर फेफड़ों की बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके। भारत में COPD अब सबसे तेजी से बढ़ने वाली और जानलेवा फेफड़ों की बीमारियों में से एक बन चुकी है।
क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) एक लंबी चलने वाली फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें सांस की नलियाँ सूज जाती हैं, संकरी हो जाती हैं और फेफड़े धीरे-धीरे खराब होने लगते हैं। इससे हवा का आना-जाना कम हो जाता है और सांस लेने में दिक्कत होती है।
भारत में COPD के सबसे बड़े कारण हैं:
- धूम्रपान
- प्रदूषण
- धूल, धुआँ, केमिकल
- चूल्हे/बायोमास का धुआँ
COPD मुख्यतः दो बीमारियों का मिश्रण है:
1. क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस: सांस की बड़ी नलियों में सूजन और लगातार खांसी व ज्यादा बलगम बनना।
2. एम्फ़ाइज़ीमा: फेफड़ों की छोटी हवा की थैलियाँ (अल्वियोली) खराब हो जाती हैं, जिससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती।
COPD पूरी तरह ठीक नहीं होती, लेकिन सही इलाज से नियंत्रण में रहती है और मरीज सामान्य जीवन जी सकते हैं।
COPD के लक्षण
- चलने-फिरने पर या सीढ़ियाँ चढ़ने पर सांस फूलना
- लगातार खांसी (साफ/सफेद/पीला/हरा बलगम)
- साँस लेते समय सीटी जैसी आवाज़ (wheezing)
- सीने में भारीपन
- थकान और ऊर्जा की कमी
- बार-बार फेफड़ों का संक्रमण
- भूख कम लगना, वजन घटना
- पैरों/टखनों में सूजन
डॉक्टर को कब दिखाएँ:
- सांस फूलना बढ़ जाए
- खांसी में बदलाव आए
- बलगम का रंग बदल जाए या बुखार हो
- दिन-प्रतिदिन काम करना मुश्किल हो
COPD की जाँच
- स्पाइरोमेट्री — सबसे ज़रूरी जाँच
- चेस्ट एक्स-रे/सीटी स्कैन
- ऑक्सीजन लेवल (पल्स ऑक्सीमीटर/ABG)
- खून की जाँच
COPD का इलाज
1. इनहेलर (मुख्य इलाज)
ब्रोंकोडायलेटर
स्टेरॉयड इनहेलर
कॉम्बिनेशन इनहेलर
2. गोलियाँ/दवाएँ
स्टेरॉयड (flare-up में)
एंटीबायोटिक (संक्रमण में)
बलगम पतला करने वाली दवाएँ
3. ऑक्सीजन थेरेपी: कम ऑक्सीजन वाले मरीजों के लिए।
4. पल्मोनरी रिहैबिलिटेशन: सांस के व्यायाम, वॉकिंग, पोषण, काउंसलिंग।
5. वैक्सीन: फ्लू और न्यूमोकोकल वैक्सीन ज़रूरी।
(डिस्क्लेमर: सभी दवाइयाँ, इलाज और स्वास्थ्य से जुड़े फैसले केवल किसी योग्य डॉक्टर की सलाह और निगरानी में ही किए जाने चाहिए। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा शुरू, बंद या बदलें नहीं।)
रोज़मर्रा की देखभाल
- तंबाकू/सिगरेट पूरी तरह छोड़ें
- प्रदूषण और धुएँ से बचें
- मास्क पहनें
- रोज़ाना 15–20 मिनट सांस के व्यायाम
- पौष्टिक और हाई-प्रोटीन आहार
- डॉक्टर की दवा समय पर लें
- flare-up के शुरुआती संकेत पहचानें