भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की बढ़ती मांग और सफलता — सम्मेलन में हुई बड़ी चर्चा

Update: 2025-11-24 06:00 GMT

नई दिल्ली: भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे प्रमुख कारण हैं — बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ, अनुभवी डॉक्टर और सख्त निगरानी प्रणाली।

इन मुद्दों पर चर्चा ‘लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसायटी ऑफ इंडिया (LTSI) 2025’ के सम्मेलन में की गई, जो 20 से 23 नवंबर तक राजधानी दिल्ली में आयोजित किया जा रहा है।

ग्लोबल ऑब्ज़र्वेटरी ऑन ऑर्गन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (GODT) और NOTTO के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने साल 2024 में लगभग 5,000 लिवर ट्रांसप्लांट किए। देशभर में अब 200 से ज़्यादा सक्रिय ट्रांसप्लांट केंद्र मौजूद हैं।

LTSI के अध्यक्ष-निर्वाचित डॉ. अभदीप चौधरी ने कहा, “भारत का लिवर ट्रांसप्लांट सिस्टम विज्ञान, नैतिकता और मानवीय मूल्यों का संतुलन है। हर सफल ट्रांसप्लांट के पीछे एक सख्त प्रक्रिया, पारदर्शिता और विशेषज्ञों की मेहनती टीम होती है।”

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में हर साल सबसे ज़्यादा ‘लिविंग डोनर लिवर ट्रांसप्लांट’ किए जाते हैं — जहाँ लिवर देने वाला व्यक्ति जीवित होता है। यह पूरी प्रक्रिया चिकित्सकीय, कानूनी और नैतिक नियमों के अनुसार होती है, जिससे दाता और मरीज दोनों की सुरक्षा बनी रहती है।

आमतौर पर लिवर देने वाले परिवार के सदस्य होते हैं, और हर मामले की कई स्तरों पर जाँच की जाती है। इसी वजह से भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की सफलता दर दुनिया के विकसित देशों के बराबर या कभी-कभी उनसे बेहतर मानी जाती है।

ILDLT के अध्यक्ष प्रो. मोहम्मद रेला ने कहा, “भारत का लिविंग डोनर मॉडल अब दुनिया के लिए एक उदाहरण बन गया है। हम नवाचार, कौशल और सहयोग के ज़रिए लिवर ट्रांसप्लांट को अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।”

LTSI 2025 सम्मेलन लिवर ट्रांसप्लांट से जुड़ी नई तकनीकों, अनुभवों और शोधों पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण मंच है। इस वर्ष इसमें 20 से ज़्यादा देशों से आए 1,000 से अधिक डॉक्टर, सर्जन और शोधकर्ता भाग ले रहे हैं।

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