Health Dialogues

मिथक बनाम सच्चाई: फेफड़ों के कैंसर की हकीकत


मिथक:
सिर्फ़ स्मोक करने वालों को फेफड़ों का कैंसर होता है।
सच्चाई: नॉन-स्मोकर भी प्रदूषण, सेकंडहैंड धुआँ या जेनेटिक कारणों से बीमार हो सकते हैं।
मिथक:
फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती लक्षण साफ़ दिखते हैं।
सच्चाई: शुरुआती स्टेज में यह अक्सर बिना लक्षणों के बढ़ता है।
मिथक:
खाँसी तो आम बात है।
सच्चाई: 3 हफ़्तों से ज़्यादा चलने वाली खाँसी को नज़रअंदाज़ न करें, डॉक्टर से मिलें।
मिथक:
प्रदूषण से कैंसर नहीं होता।
सच्चाई: लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से फेफड़ों की कोशिकाएँ खराब होकर कैंसर हो सकता है।
मिथक:
फेफड़ों का कैंसर सिर्फ़ बुज़ुर्गों को होता है।
सच्चाई: ये किसी भी उम्र में हो सकता है, ख़ासकर स्मोकर्स और प्रदूषण में रहने वालों को।
मिथक:
फेफड़ों का कैंसर तेज़ी से फैलता है, इलाज मुमकिन नहीं।
सच्चाई: शुरुआती पहचान होने पर इलाज और रिकवरी दोनों संभव हैं।
मिथक:
घरेलू नुस्खे या जड़ी-बूटियाँ कैंसर ठीक कर सकती हैं।
सच्चाई: ऐसा नहीं है — सही इलाज सिर्फ़ डॉक्टर के ज़रिए ही होता है।
डॉक्टर से कंसल्ट करें, विलम्ब नहीं करें अफ़वाह नहीं, जाँच पर भरोसा करें। सहीं तरीके से जांच करवाएं
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