यूके में बना खून का टेस्ट जो एक भी फेफड़ों के कैंसर सेल को पकड़ सकता है
यूके में विकसित ब्लड टेस्ट एक भी फेफड़ों के कैंसर सेल का पता लगा सकता है।
Professor Josep Sulé-Suso, associate specialist in oncology at UHNM and lead author of the study
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा नया खून का टेस्ट बनाया है, जो मरीज के खून में मौजूद सिर्फ एक फेफड़ों का कैंसर सेल भी पहचान सकता है। यह खोज फेफड़ों के कैंसर की जल्दी पहचान और इलाज की मॉनिटरिंग को काफी आसान बना सकती है। यह टेस्ट University Hospitals of North Midlands (UHNM) के शोधकर्ताओं ने कील यूनिवर्सिटी, लफबरा यूनिवर्सिटी और अन्य वैज्ञानिक संस्थानों के साथ मिलकर तैयार किया है।
यह अध्ययन Applied Spectroscopy नाम की जर्नल में छपा है। इसमें बताया गया कि Fourier Transform Infrared (FT-IR) माइक्रोस्पेक्ट्रोस्कोपी नाम की तकनीक से कैंसर सेल का “केमिकल फिंगरप्रिंट” यानी विशेष रासायनिक संकेत पहचाने जा सकते हैं। यह तकनीक एक बेहद महीन इन्फ्रारेड बीम का इस्तेमाल करती है — जैसा टीवी रिमोट में होता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा शक्तिशाली — ताकि खून के सैंपल में कैंसर सेल खोजे जा सकें।
कैंसर सेल, जिन्हें Circulating Tumour Cells (CTCs) कहा जाता है, ट्यूमर से निकलकर खून में घूमते रहते हैं। ये सेल डॉक्टरों को बताते हैं कि कैंसर कैसे बढ़ रहा है, क्या वह शरीर में फैल रहा है, और इलाज कितना असर कर रहा है। लेकिन इन्हें पकड़ने के पुराने तरीके महंगे, समय लेने वाले होते हैं और कई बार ये सेल अपना आकार बदल लें तो टेस्ट उन्हें पहचान भी नहीं पाते।
UHNM टीम की नई तकनीक इन सभी मुश्किलों को हल करती है। यह तरीका ज़्यादा आसान, कम खर्च वाला है और इसे अस्पतालों में पहले से मौजूद सामान्य ग्लास स्लाइड पर ही किया जा सकता है। यानी इसे रोज़मर्रा की मेडिकल जांच में शामिल करना आसान होगा।
शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को UHNM के 77 वर्षीय फेफड़ों के कैंसर मरीज पर सफलतापूर्वक टेस्ट किया। उन्नत स्कैनिंग और कंप्यूटर विश्लेषण की मदद से वैज्ञानिक केवल एक कैंसर सेल को हजारों सामान्य ब्लड सेल के बीच पहचानने में सफल रहे। बाद में यह नतीजा विशेष परीक्षण से भी पुष्टि किया गया।
अध्ययन के मुख्य लेखक प्रो. जोसेप सूले-सूसो, जो UHNM में ऑन्कोलॉजी विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि यह खोज भविष्य में डॉक्टरों को सिर्फ एक साधारण ब्लड टेस्ट से ही कैंसर की प्रगति समझने में मदद कर सकती है। उनके अनुसार, इससे मरीजों को जल्दी निदान, पर्सनलाइज्ड इलाज और कम इनवेसिव प्रक्रियाएँ मिल सकेंगी। आगे चलकर यह तकनीक फेफड़ों के अलावा कई प्रकार के कैंसर में भी उपयोग की जा सकती है।
अब शोध टीम इसका परीक्षण बड़े मरीज समूहों पर करेगी, ताकि भविष्य में इसे एक तेज़, ऑटोमेटेड ब्लड टेस्ट के रूप में NHS की कैंसर जांच प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।