निपाह वायरस वैक्सीन की ट्रायल: ऑक्सफोर्ड ने शुरू की दुनिया की पहली Phase-II स्टडी
सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बड़ी सफलता — University of Oxford ने दुनिया की पहली Phase II क्लिनिकल ट्रायल शुरू की है, जो निपाह वायरस के लिए वैक्सीन की सुरक्षा और असर की जांच करेगी।
यह ट्रायल बांग्लादेश में चल रही है, जहाँ निपाह वायरस के प्रकोप अक्सर होते हैं। इसे International Centre for Diarrhoeal Disease Research, Bangladesh (icddr,b) के साथ मिलकर संचालित किया जा रहा है। वैक्सीन, जिसका नाम ChAdOx1 NipahB है, Serum Institute of India (SII) द्वारा तैयार की गई है, और Coalition for Epidemic Preparedness Innovations (CEPI) इसका वित्तपोषण कर रहा है।
इस Phase II स्टडी में लगभग 306 स्वस्थ वयस्क (18–55 वर्ष) शामिल किए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह समझना है कि वैक्सीन कितनी सुरक्षित है और शरीर में कैसा प्रतिरक्षा-प्रतिक्रिया (immune response) पैदा करती है।
निपाह वायरस अत्यंत खतरनाक माना जाता है। यह फल खाने वाले चमगादड़ों से फैलता है और संक्रमित ताड़ के रस, संक्रमित जानवरों या सीधे मानव-से-मानव संपर्क से फैल सकता है। संक्रमण के मामलों में मृत्यु दर 75% तक देखी गई है। इसके लक्षण बुखार, सिरदर्द और उल्टी से शुरू होकर सांस लेने में दिक्कत और गंभीर दिमागी संक्रमण तक बढ़ सकते हैं।
अभी तक निपाह के लिए कोई स्वीकृत वैक्सीन या विशिष्ट इलाज नहीं है। इस वजह से यह ट्रायल वैश्विक स्वास्थ्य जगत के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है।
यदि यह वैक्सीन सफल होती है, तो यह दक्षिण एशिया जैसे क्षेत्रों में, जहाँ निपाह के मामले बार-बार सामने आते हैं, एक मजबूत सुरक्षा का रास्ता खोल सकती है। ChAdOx1 वैक्सीन प्लेटफॉर्म पहले कोविड-19 वैक्सीन में प्रभावी साबित हो चुका है, इसलिए इस नए वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञों में उम्मीदें और भी अधिक हैं।
यह ट्रायल निपाह वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है — और यह उम्मीद जगाती है कि आने वाले समय में इस जानलेवा वायरस से बचाव संभव हो सकेगा।