बच्चों का Vaccination Schedule: समय पर टीकाकरण क्यों है जरूरी? - Dr Akhileshwar Narayan Chowdhury

Update: 2025-07-06 04:30 GMT

बचपन में vaccination बच्चों को गंभीर और कभी-कभी जानलेवा बीमारियों से बचाने का सबसे असरदार तरीका है। जन्म के साथ ही शुरू होने वाले ये vaccines बच्चे की immunity को मजबूत बनाते हैं और उसे measles, polio, hepatitis जैसी कई बीमारियों से सुरक्षित रखते हैं।

Vaccination का तय समय पर पालन करना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि इससे बच्चों को उनके सबसे नाज़ुक और कमजोर विकास के समय में सही सुरक्षा मिलती है। साथ ही, यह समाज में infectious diseases के फैलाव को रोकने में भी मदद करता है।

जब ज्यादा लोग vaccination करवाते हैं, तो उससे ऐसे लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा मिलती है, जो या तो बहुत छोटे हैं या किसी वजह से vaccine नहीं ले सकते। इसे herd immunity कहा जाता है। माता-पिता के लिए बच्चों के सभी vaccines का समय पर ध्यान रखना, उनके स्वास्थ्य और पूरे समाज की भलाई के लिए एक आसान लेकिन बहुत जरूरी कदम है।

अधिकतर बचपन की vaccination कई doses में होती हैं, जो जीवन के पहले कुछ सालों में दी जाती हैं। इनका पहला dose जन्म के तुरंत बाद ही दिया जाता है। कुछ vaccines सिर्फ एक बीमारी से बचाते हैं, जबकि कुछ एक साथ कई बीमारियों से सुरक्षा देते हैं।

माता-पिता को कई बार यह सब बहुत ज्यादा और उलझन भरा लग सकता है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सरकारी guidelines द्वारा सुझाया गया vaccination schedule फॉलो करना बहुत जरूरी है ताकि बच्चे को समय पर और पूरी तरह से सुरक्षा मिल सके।

IAP निर्देशों के अनुसार Vaccination Schedule

जन्म के समय बच्चों को BCG vaccine दिया जाता है, जो TB से बचाव करता है। इसके साथ ही hepatitis B का पहला dose और oral polio vaccine का zero dose भी दिया जाता है। जब बच्चा छह हफ्ते का होता है, तब उससे जुड़े जरूरी vaccines शुरू किए जाते हैं, जिनमें DTP (diphtheria, tetanus, pertussis), IPV (polio vaccine), Hib (Haemophilus influenzae type B), rotavirus, PCV (pneumococcal conjugate vaccine) और hepatitis B की दूसरी dose शामिल हैं। इसके बाद 10 और 14 हफ्ते पर इन्हीं vaccines की अगली doses दी जाती हैं ताकि शुरुआती सुरक्षा पूरी हो सके।

Rotavirus vaccine की संख्या brand पर निर्भर करती है, कुछ में दो doses होती हैं, तो कुछ में तीन।

छह महीने की उम्र में hepatitis B की तीसरी dose दी जाती है। नौ महीने में measles, mumps और rubella (MMR) की पहली dose दी जाती है, साथ ही typhoid का vaccine भी दिया जाता है। एक साल की उम्र में hepatitis A का vaccine शुरू किया जाता है।

15 से 18 महीने के बीच बच्चे को DTP, Hib और PCV के booster doses दिए जाते हैं, MMR की दूसरी dose दी जाती है और chickenpox (varicella) का पहला vaccine भी इसी समय दिया जाता है। 18 से 24 महीने के बीच hepatitis A की दूसरी dose दी जाती है। चार से छह साल की उम्र में बच्चे को DTP, IPV, MMR और varicella के booster doses दिए जाते हैं।

जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, 10 साल की उम्र के आसपास उसे Tdap और HPV जैसे vaccines देने की सलाह दी जाती है। खासकर लड़कियों के लिए HPV vaccine जरूरी होती है, क्योंकि यह cervical cancer से बचाव में मदद करती है। यह दो doses में दी जाती है और 9 से 14 साल की उम्र के बीच लगाई जाती है।

माता-पिता के लिए जरूरी है कि वे बच्चों के सभी vaccines का रिकॉर्ड रखें और समय-समय पर अपने डॉक्टर से सलाह लेते रहें। अगर किसी कारण से कोई vaccine छूट जाए, तो भी चिंता की बात नहीं है, इसके लिए catch-up schedule उपलब्ध होते हैं।

बच्चों को पूरा vaccination दिलाना माता-पिता की सबसे जिम्मेदार कार्य और भरोसेमंद जिम्मेदारियों में से एक है, जिससे न सिर्फ उनका बच्चा सुरक्षित रहता है बल्कि उनके आस-पास का पूरा समाज भी।

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