जन्म के तुरंत बाद टीकाकरण क्यों ज़रूरी है – डॉ निरंजन एन

Update: 2025-11-20 05:00 GMT

शिशु के जीवन के शुरुआती कुछ सप्ताह नाजुकता से भरे होते हैं। नवजात शिशु अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली के साथ जन्म लेते हैं, जो अपने आप संक्रमण से पूरी तरह लड़ नहीं सकती। गर्भावस्था के दौरान माँ कुछ सुरक्षात्मक एंटीबॉडी शिशु को देती हैं, लेकिन जन्म के कुछ ही सप्ताह बाद ये कम होने लगती हैं। यही कारण है कि शिशु को जन्म के तुरंत बाद टीके लगाना आवश्यक है, ताकि उन्हें सबसे कमजोर अवस्था में सुरक्षा मिल सके।

भारत के सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (Universal Immunisation Programme - UIP) के तहत हर बच्चे को जन्म पर तीन महत्वपूर्ण टीके दिए जाने की सिफारिश की जाती है: बीसीजी (BCG), ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV-0), और हेपेटाइटिस बी। ये सभी नवजात शिशु के स्वास्थ्य की रक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं।

• बीसीजी टीका क्षय रोग (टी.बी) से बचाव करता है और मैनिन्जाइटिस व मिलियरी टीबी को रोकता है। शोध बताते हैं कि जन्म के तुरंत बाद दिया गया बीसीजी 80% तक गंभीर बचपन के टीबी मामलों को रोक सकता है।

• हेपेटाइटिस बी टीका माँ से बच्चे में फैलने वाले खतरनाक संक्रमण से बचाता है। जन्म पर संक्रमण होने पर 90% संभावना होती है कि बच्चा क्रॉनिक हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त हो जाए, जो आगे चलकर लिवर फेल्योर या कैंसर का कारण बन सकता है।

• ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) पोलियो वायरस से शुरुआती सुरक्षा देता है, जो स्थायी लकवे का कारण बन सकता है। भारत पोलियो-मुक्त घोषित हो चुका है, लेकिन यह जन्म-खुराक प्रतिरक्षा बनाए रखने और पुनः उभरने से रोकने के लिए आवश्यक है।

यूनिसेफ के अनुसार, भारत हर साल 2.6 करोड़ से अधिक नवजात शिशुओं का टीकाकरण करता है। शुरुआती टीकाकरण जीवनरक्षक साबित हुआ है—एक अध्ययन में पाया गया कि जन्म के 48 घंटे के भीतर बीसीजी और ओपीवी देने से कम वजन वाले शिशुओं में संक्रमण से होने वाली मौतें 47% तक कम हुईं।

जन्म के तुरंत बाद टीकाकरण से बेहतर कवरेज सुनिश्चित होता है, क्योंकि अधिकांश शिशु शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य केंद्र जाते हैं। नवजात शिशुओं को दिए जाने वाले टीके सुरक्षित और प्रभावी होते हैं, जिनके केवल हल्के और अस्थायी दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे हल्का बुखार या दर्द।

टीकाकरण को “बच्चे के थोड़े बड़े होने तक टालना” एक मिथक है। ऐसा करने से शिशु अपने सबसे संवेदनशील समय में असुरक्षित रह जाते हैं।

जन्म पर दिए गए टीके जीवनभर की प्रतिरक्षा बनाने की पहली सीढ़ी हैं। ये न केवल बच्चों की रक्षा करते हैं बल्कि समुदाय स्तर पर रोग नियंत्रण में भी योगदान देते हैं। जन्म-खुराक टीके, शिशु की पहली ढाल हैं—सरल, सुरक्षित और आवश्यक। समय पर टीकाकरण कर माता-पिता अपने बच्चे के स्वस्थ भविष्य की ओर सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं।

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