कैंसर के इलाज में नई उम्मीद: व्यक्तिगत वैक्सीन का पहला ट्रायल सफल

हार्वर्ड वैज्ञानिकों की पर्सनलाइज्ड कैंसर वैक्सीन स्टेज-4 मेलानोमा मरीजों में सुरक्षित और इम्यून सिस्टम सक्रिय करने में प्रभावी साबित हुई

Update: 2025-12-15 05:15 GMT

हार्वर्ड शोधकर्ताओं ने एक ऐसा कैंसर वैक्सीन मॉडल तैयार किया है जो हर मरीज के लिए अलग बनाया जाता है। शुरुआती ट्रायल में यह तरीका सुरक्षित भी पाया गया और इससे मरीजों के इम्यून सिस्टम में अच्छा सुधार भी दिखा।

कैंसर के इलाज में दुनिया भर के वैज्ञानिक नई राहें खोज रहे हैं। इसी कोशिश में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की एक टीम ने एक अनोखी वैक्सीन विकसित की है — ऐसी वैक्सीन जो हर मरीज के शरीर और उसके ट्यूमर के हिसाब से बनाई जाती है। सबसे खास बात यह है कि इसका पहला मानव ट्रायल अब सफल हो गया है।


यह ट्रायल स्टेज-4 मेलानोमा यानी उन्नत स्तर के त्वचा कैंसर से जूझ रहे 21 मरीजों पर किया गया। नतीजों ने डॉक्टरों और शोधकर्ताओं, दोनों को नई उम्मीद दी है।

कैसे काम करती है यह वैक्सीन?

दवा आमतौर पर हर मरीज के लिए एक जैसी होती है, लेकिन यह वैक्सीन एकदम अलग है।
हर मरीज के ट्यूमर से निकाले गए नमूनों से यह वैक्सीन तैयार की जाती है और फिर शरीर में दी जाती है ताकि:

  • शरीर कैंसर कोशिकाओं को अच्छी तरह पहचान सके
  • इम्यून सिस्टम उन पर हमला करना सीख सके
  • और कैंसर के बढ़ने की रफ्तार कम हो


इसे वैज्ञानिक भाषा में "personalised cancer vaccine" कहा जाता है — लेकिन सरल शब्दों में कहें तो यह शरीर से ही “कैंसर को पहचानना सीखती है।”

ट्रायल में क्या नतीजे मिले?

पहले चरण के इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य था यह देखना कि वैक्सीन:


  • सुरक्षित है या नहीं?
  • शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को सक्रिय करती है या नहीं?


दोनों सवालों के जवाब सकारात्मक मिले।


  • किसी भी मरीज में गंभीर दुष्प्रभाव नहीं दिखा
  • खून की जांच में पता चला कि इम्यून सिस्टम की T-सेल्स सक्रिय हो गईं
  • यानी शरीर ने कैंसर को पहचानना और उस पर प्रतिक्रिया देना शुरू किया

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में कैंसर के इलाज को और प्रभावी बना सकती है।

अब आगे क्या होगा?

अब अगला कदम बड़े पैमाने पर ट्रायल करना है, जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या यह वैक्सीन:

  • ट्यूमर को छोटा करने में मदद करती है
  • जीवन अवधि बढ़ाती है
  • और क्या इसे अन्य उन्नत कैंसर दवाओं के साथ मिलाकर और बेहतर बनाया जा सकता है

वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर आने वाले ट्रायल भी सफल रहे, तो आने वाले वर्षों में यह वैक्सीन हजारों मरीजों के लिए नई उम्मीद बन सकती है।

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