अनाजों से बढ़ती प्रोटीन की कमी: भारत में पोषण संतुलन खतरे में
भारत में लगभग आधा प्रोटीन अनाजों से आता है, जिससे पोषण की गुणवत्ता और स्वास्थ्य पर खतरा बढ़ रहा है।
नई दिल्ली : एक नए अध्ययन में खुलासा हुआ है कि भारत में घर में लिए जाने वाले कुल प्रोटीन का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा अनाजों जैसे चावल, गेहूं, सूजी और मैदा से आता है, जो पोषण की गुणवत्ता के लिहाज़ से कमजोर माना जाता है। इस स्थिति से स्वास्थ्य और खान‑पान संतुलन पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, कहते विशेषज्ञ।
स्टडी के अनुसार भारतीयों का औसत प्रोटीन सेवन प्रतिदिन लगभग 55.6 ग्राम है, जो राष्ट्रीय मानकों के हिसाब से पर्याप्त माना जाता है। लेकिन इसका बड़ा हिस्सा अनाजों से आ रहा है, जिनमें आवश्यक अमीनो एसिड कम होते हैं और पचा पाना भी कठिन होता है। इसके उलट, दालें, दूध, अंडा, मछली और मांस जैसे उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन स्रोतों का सेवन अपेक्षा से कम है।
अध्ययन के शोधकर्ताओं ने बताया कि अनाजों पर इतना अधिक निर्भरता भारत के पौष्टिक खाद्य पैटर्न में बड़ी कमी दिखाती है। उन्होंने कहा है कि यह एक “मूक पोषण संकट” है जिसमें लोग कैलोरी तो पर्याप्त मात्रा में ले रहे हैं लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार नहीं पा रहे हैं। साथ ही सब्जियों, फलों और दालों की खपत भी कम बनी हुई है, जबकि तेल, नमक और चीनी का उपयोग अधिक है।
स्टडी में यह भी दर्शाया गया है कि सबसे गरीब वर्ग में प्रोटीन‑युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध और फल का सेवन अत्यंत कम है, जबकि सबसे अमीर वर्ग में इनकी खपत काफी अधिक है। यह खपत असमानता साफ तौर पर पोषण में अंतर को दर्शाती है।
अनाजों पर आधारित भोजन का कारण तब और स्पष्ट होता है जब यह देखा जाता है कि लगभग तीन‑चौथाई कार्बोहाइड्रेट की खपत अनाजों से होती है, जो राष्ट्रीय पोषण अनुशंसाओं से कहीं ज्यादा है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि मोटे अनाजों जैसे ज्वार, बाजरा और रागी का सेवन पिछले दशक में काफी गिरा है।
पब्लिक फूड प्रोग्रामों में बदलाव की सलाह देते हुए शोध ने कहा है कि पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (PDS), पीएम पोषण प्रणाली, और आंगनवाड़ी योजनाओं में अनाजों के अलावा दालें, दूध, अंडे, फल और सब्ज़ियों जैसी विविध और पौष्टिक चीजों को शामिल किया जाना चाहिए, जिससे संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार सुनिश्चित किया जा सके।
विशेषज्ञों की सलाह:
- अधिक से अधिक दालें, दूध, अंडे और मछली शामिल करें ताकि प्रोटीन की गुणवत्ता बढ़ सके।
- मोटे अनाजों जैसे बाजरा, ज्वार और रागी का सेवन बढ़ाएँ, जो पोषण में संतुलन बनाए रखते हैं।
- फलों और सब्ज़ियों का नियमित सेवन करें, जिससे विटामिन और मिनरल्स की कमी न हो।
इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि भारत के भोजन प्रणाली में संतुलन बनाए रखना अब और ज़रूरी हो गया है ताकि पोषण‑सम्बंधी स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सके और बेहतर जीवन स्तर सुनिश्चित किया जा सके।