कौन-से फ़ूड्स कैंसर का खतरा कम करते हैं? जानिए अमेरिकी ऑन्कोलॉजी डाइटिशियन की राय
साबुत अनाज, रंग-बिरंगी सब्जियाँ, फल, फाइबर और ओमेगा-3 फैट कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं।
हम रोज़ क्या खा रहे हैं, यह हमारे स्वास्थ्य और भविष्य दोनों को गहराई से प्रभावित करता है। OSF HealthCare के अनुसार, साबुत अनाज, रंग-बिरंगी सब्ज़ियाँ, मौसमी फल, फाइबर और ओमेगा-3 फैट्स ऐसे पोषक तत्व हैं जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, सूजन कम करते हैं और कई तरह के कैंसर के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
ये सब चीजें भारतीय भोजन में पहले से मौजूद हैं — बस उनकी मात्रा और विविधता बढ़ाने की जरूरत है।
फाइबर क्यों इतना ज़रूरी है
फाइबर को अक्सर हम नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि यही हमारी आँतों, पाचन और gut bacteria के लिए सबसे ज़रूरी पोषक तत्व है। फाइबर कोलन और रेक्टल कैंसर का खतरा कम करने में विशेष भूमिका निभाता है। भारतीय डाइट में फाइबर बढ़ाना बेहद आसान है।
थोड़ी-सी बदलाव से ही फायदा मिलता है — जैसे कि सफेद चावल की जगह ब्राउन राइस, मैदे की जगह मल्टीग्रेन रोटी, और नाश्ते में ओट्स, दलिया, रागी या बाजरे का इस्तेमाल।
एक चम्मच अलसी के बीज (flaxseed), चिया, कद्दू के बीज, अखरोट दही, लस्सी या स्मूदी में डालने से फाइबर और स्वस्थ वसा दोनों मिलते हैं।
अंतरराष्ट्रीय रिसर्च, जिसमें American Cancer Society भी शामिल है, साबित करती है कि फाइबर से भरपूर डाइट प्रोस्टेट कैंसर के गंभीर रूपों का खतरा कम कर सकती है। हमारे यहाँ रोज़ की दालें — राजमा, छोले, मसूर, मूंग — भी गज़ब की फाइबर और प्रोटीन देती हैं।
ओमेगा-3: सूजन कम करने वाला पोषण
ओमेगा-3 फैट्स शरीर की सूजन कम करते हैं, दिल और दिमाग दोनों का स्वास्थ्य बेहतर बनाते हैं और कैंसर सहित कई बीमारियों से सुरक्षा देते हैं। भारतीय खाने में ओमेगा-3 जोड़ना मुश्किल नहीं है।
अगर आप मछली खाते हैं, तो बंगड़ा, रावस, सार्डिन, टूना जैसे विकल्प बेहद असरदार हैं। इन्हें फ्रिज में स्टोर कर सलाद, दलिया, अंडों या खिचड़ी के साथ शामिल किया जा सकता है।
वेजिटेरियन लोगों के लिए —
अलसी, अखरोट, सोया, चिया सीड जैसी चीजें नियमित रूप से खाई जाएँ तो ओमेगा-3 की कमी नहीं रहती।
थोड़ा-थोड़ा रोज़ शामिल करना ही सबसे कारगर तरीका है।
सब्ज़ियाँ — जितना ज़्यादा रंग, उतना बेहतर
भारत में फल तो खाए जाते हैं, लेकिन सब्ज़ियों में विविधता अक्सर बहुत कम होती है। ज़्यादातर लोग पूरे हफ़्ते में वही 8–10 सब्ज़ियाँ दोहराते रहते हैं। जहाँ रंग होता है, वहीं पोषण छुपा होता है — और वही शरीर की कोशिकाओं को कैंसर से सुरक्षा देते हैं।
फ्रोजन मिक्स-वेजिटेबल पैक एक आसान समाधान हैं। इन्हें चावल, पुलाव, पोहा, उपमा, दाल, पास्ता, सूप — कहीं भी झटपट डाला जा सकता है। लाल, नारंगी, हरी और बैंगनी सब्ज़ियाँ — जैसे चुकंदर, गाजर, बैल पेपर, ब्रोकोली, पालक — शरीर को ढेर सारे एंटीऑक्सिडेंट देती हैं।
पॉलीफेनॉल: रंगों में छुपा सुरक्षा कवच
फलों और सब्ज़ियों के चमकीले रंगों का मतलब है कि उनमें पॉलीफेनॉल भरपूर हैं — ये वही तत्व हैं जो कोशिकाओं को बुढ़ापे और नुकसान से बचाते हैं। टमाटर, गाजर और लाल शिमला मिर्च में मौजूद लाइकोपीन प्रोस्टेट कैंसर के जोखिम को कम करने में खास लाभ देता है।
टमाटर पकाकर खाने से इसका फायदा दोगुना हो जाता है — इसलिए रोज़ के भोजन में टमाटर वाली सब्ज़ी, सांभर, रस्सम, टमाटर का सूप या राजमा स्वाभाविक रूप से सुरक्षा देते हैं।
पॉलीफेनॉल हमारे gut bacteria को भी पोषण देते हैं — जिससे इम्युनिटी मजबूत होती है।
कौन-कौन से कैंसर में डाइट मदद करती है
अच्छी डाइट से इन कैंसरों का जोखिम कम किया जा सकता है:
* ब्रेस्ट
* ओवरी और अन्य गायनो कैंसर
* प्रोस्टेट
* कोलन
* पेट (गैस्ट्रिक)
वजन संतुलित रखने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम होता है, क्योंकि शरीर में अतिरिक्त वसा ईस्ट्रोजन बढ़ाती है।
प्रोटीन बढ़ाने के आसान भारतीय तरीके
प्रोटीन सिर्फ मसल्स नहीं बनाता — यह इम्युनिटी, त्वचा, बाल, रिकवरी और ऊर्जा सबके लिए ज़रूरी है। कुछ आसान तरीके:
* अंडे की भुर्जी में थोड़ा पनीर मिलाएँ
* ग्रीक योगर्ट को सॉस, डिप या करी स्टाइल में इस्तेमाल करें
* ओट्स में दही या केफिर डालें
भारतीय विकल्पों में दालें, पनीर, टोफू, अंकुरित दालें, सत्तू, चना, राजमा आसानी से रोज़ शामिल किए जा सकते हैं।
⭐ क्या कम करें
* पैकेज्ड/प्रोसेस्ड फूड
* आर्टिफ़िशल कलर और प्रिज़र्वेटिव्स
* ज़्यादा रेड मीट
* प्रोसेस्ड मीट
* शराब
ये शरीर में सूजन बढ़ाते हैं और कोशिकाओं को नुकसान पहुँचाते हैं — जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है