भूलने की आदतों का नया नाम 'डिजिटल डिमेंशिया', बढ़ा रही मस्तिष्क की थकान और तनाव

Update: 2025-12-26 06:15 GMT

नई दिल्ली- आज का दौर पूरी तरह डिजिटल हो चुका है। स्मार्टफोन, इंटरनेट और मोबाइल एप्स ने हमारी जिंदगी को पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है। लेकिन इस सुविधा की एक कीमत भी है, और वह है हमारी याददाश्त और एकाग्रता पर पड़ने वाला असर। पहले लोग बिना किसी परेशानी के फोन नंबर याद कर लेते थे, बच्चों को पहाड़े सिखा देते थे या हाल ही में देखी गई फिल्म की कहानी विस्तार से सुना देते थे। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।

आज ज्यादातर जानकारी सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर है। किसी भी सवाल का जवाब तुरंत गूगल पर मिल जाता है। ऐसे में दिमाग को चीजें याद रखने की जरूरत ही महसूस नहीं होती। यही वजह है कि लोग अब अक्सर भूल जाते हैं कि उन्होंने अभी कौन-सा मैसेज पढ़ा था, फोन में कौन-सी फाइल सेव की थी या किसी व्यक्ति से क्या बात हुई थी। धीरे-धीरे मस्तिष्क की स्वाभाविक स्मरण शक्ति कमजोर पड़ने लगती है।

तकनीक पर अत्यधिक निर्भरता का सबसे ज्यादा असर एकाग्रता पर दिखाई देता है। आज लोग एक साथ कई काम करने की कोशिश करते हैं—फोन चलाना, टीवी देखना और चैट करना। लगातार स्क्रीन स्क्रॉल करना और सोशल मीडिया पर समय बिताना दिमाग पर दबाव डालता है। इससे सोचने, समझने, निर्णय लेने और किसी एक काम पर ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम होने लगती है। जबकि स्मरण शक्ति तभी मजबूत होती है, जब दिमाग पूरी तरह किसी एक काम में डूबा हो।

याददाश्त की प्रक्रिया दो चरणों में काम करती है—पहले जानकारी को दिमाग में दर्ज करना और फिर जरूरत पड़ने पर उसे याद करना। जब हम हर छोटी जानकारी के लिए मोबाइल पर निर्भर रहते हैं, तो यह प्रक्रिया बाधित हो जाती है। नतीजतन, छोटी-छोटी बातें भूलना आम हो जाता है और लंबे समय तक ध्यान लगाना मुश्किल लगने लगता है। इससे मानसिक थकान बढ़ती है और काम में निरंतरता बनाए रखना कठिन हो जाता है।

विशेषज्ञ इस स्थिति को डिजिटल डिमेंशिया कहते हैं। इसका असर सिर्फ याददाश्त तक सीमित नहीं रहता, बल्कि मानसिक संतुलन और भावनात्मक स्थिति भी प्रभावित होती है। ज्यादा स्क्रीन टाइम से चिड़चिड़ापन, उदासी, बेचैनी और संतुष्टि की कमी महसूस हो सकती है। कई बार व्यक्ति बातचीत में झिझकने लगता है और दोस्तों या परिवार से दूरी बनाने लगता है।

इस समस्या से बचने के लिए जीवनशैली में कुछ जरूरी बदलाव करना बेहद अहम है। डिजिटल उपकरणों का सीमित और संतुलित उपयोग करें। गैर-जरूरी एप्स हटाएं, फोन से समय-समय पर दूरी बनाएं और नियमित रूप से स्क्रीन ब्रेक लें। इसके साथ ही किताबें पढ़ने, कुछ नया सीखने और लिखने की आदत डालें।

दिमाग को सक्रिय रखने के लिए पहेलियां सुलझाना, शतरंज खेलना, ब्रेन टीजर और पजल्स करना भी बेहद फायदेमंद है। ये सभी गतिविधियां न केवल याददाश्त को मजबूत करती हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाए रखती हैं।

(With Inputs From IANS)

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