दिल्ली की जहरीली हवा ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी’, AIIMS के डॉ अनंत मोहन और डॉ सौरभ मित्तल की बड़ी चेतावनी


Update: 2025-11-19 07:30 GMT

नई दिल्ली: दिल्ली की हवा के लगातार बिगड़ते स्तर को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टरों ने इसे “पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी” करार दिया है।

AIIMS के डॉ. अनंत मोहन (HOD, Pulmonary Medicine and Sleep Disorders) और डॉ. सौरभ मित्तल (Assistant Professor, Pulmonary and Sleep Medicine) ने एक प्रेसवार्ता में बढ़ती बीमारियों, खराब होती रिकवरी और अस्पताल में बढ़ती भीड़ पर गंभीर चिंता जताई। दोनों डॉक्टरों ने स्पष्ट कहा कि दिल्ली की हवा अब सिर्फ पर्यावरण की समस्या नहीं, बल्कि एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है। उन्होंने सरकार और एजेंसियों से स्थायी समाधान लागू करने की अपील की।

“30–35% तक बढ़े मरीज”


डॉ. अनंत मोहन ने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में AIIMS में मरीजों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि अस्थमा, COPD और पहले से बीमार लोग सबसे ज्यादा परेशान हैं। बहुतों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है, और कई मरीजों को वेंटिलेटर पर भी शिफ्ट करना पड़ा है। पहले स्वस्थ रहे लोग भी सांस फूलने, घरघराहट और लगातार खांसी की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहे हैं।

सर्दी-खांसी भी जल्दी ठीक नहीं हो रही

प्रदूषण की वजह से वायरल बीमारियों का पैटर्न बदल गया है। डॉ. मोहन ने बताया कि पहले सर्दी-खांसी दो-तीन दिनों में ठीक हो जाती थी, लेकिन अब ठीक होने में हफ्तों लग रहे हैं।

उन्होंने कहा, “प्रदूषण रिकवरी को धीमा कर रहा है। हल्की बीमारियाँ भी अब तीन-चार हफ्ते खिंच जा रही हैं।” अब ऐसे लोग भी अस्पताल पहुंच रहे हैं जिन्हें कभी सांस की समस्या नहीं थी।

10 साल से हालात वही — अब लंबी अवधि के समाधान चाहिए

डॉ. मोहन ने कहा कि हर साल सर्दियों में यह मुद्दा उठता है और कुछ महीनों बाद सब शांत हो जाता है। उन्होंने टिप्पणी की, “दस साल से हम यही चक्र देख रहे हैं। दिल्ली को अब सख्त और स्थायी कदम चाहिए। हवा और मौसम के भरोसे नहीं चल सकते।”

फेफड़ों से आगे, पूरे शरीर पर असर

AIIMS विशेषज्ञों ने बताया कि प्रदूषण सिर्फ सांस का मसला नहीं है। प्रदूषक कण खून में जाकर पूरे शरीर को प्रभावित कर रहे हैं — हार्ट अटैक, हाई BP, स्ट्रोक, आंखों में जलन, त्वचा पर एलर्जी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ और गर्भवती महिलाओं में कम वजन वाले बच्चों का खतरा बढ़ रहा है।

डॉ. मोहन ने कहा, “इनका असर तुरंत दिखाई नहीं देता। असली नुकसान आने वाले पांच-दस वर्षों में सामने आता है।”

AIIMS विशेषज्ञों ने बताया कि हवा में मौजूद कण खून में जाकर पूरे शरीर को नुकसान पहुँचा रहे हैं।

लंबे समय में खतरा:

* हार्ट अटैक

* हाई BP

* ब्रेन स्ट्रोक

* याददाश्त कमजोर होना

* आंखों में जलन

* त्वचा एलर्जी

* गर्भवती महिलाओं में कम वजन के बच्चे

स्लीप एपनिया और बच्चों पर असर

डॉ. सौरभ मित्तल ने बताया कि प्रदूषण की वजह से स्लीप एपनिया के मामले बढ़ रहे हैं। नाक बंद होना, गले में सूजन और सांस में रुकावट नींद की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।

उन्होंने कहा, “बच्चों पर प्रदूषण का असर जानने के लिए AIIMS में स्टडी चल रही है। शुरुआती संकेत दिखाते हैं कि प्रदूषण नींद और विकास दोनों को प्रभावित कर सकता है।”

N95 मास्क और घर पर सावधानी जरूरी

डॉ. मित्तल ने सलाह दी कि लोग बेवजह बाहर न निकलें, और बाहर निकलें तो N95 मास्क जरूर पहनें। उन्होंने कहा, “घबराने की जरूरत नहीं, लेकिन सावधान रहने की जरूरत है। घर में अच्छा एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें और कमरे को बंद रखें।”

डॉ. मित्तल की सलाह: घबराने की नहीं, सावधानी की जरूरत है.

* बेवजह बाहर न निकलें

* हमेशा N95 मास्क पहनें

* घर में एयर प्यूरीफायर चलाएं

* प्यूरीफायर के दौरान दरवाजे-खिड़की बंद रखें

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