कोलकाता: 29 नवंबर 2025 को मणिपाल अस्पताल, ईएम बायपास में आसनसोल के रहने वाले 60 वर्षीय मरीज रामस्वरूप के शरीर में पूर्वी भारत का पहला MyCLIP TEER सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया। यह ऐतिहासिक प्रक्रिया डॉ. दिलीप कुमार, डायरेक्टर कैथ लैब, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट एवं डिवाइस और स्ट्रक्चरल हार्ट विशेषज्ञ, मणिपाल अस्पताल, ईएम बायपास द्वारा की गई। यह उपचार उन मरीजों के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी विकल्प है, जिनके लिए पारंपरिक ओपन-हार्ट सर्जरी अत्यधिक जोखिम भरी होती है। डॉ. दिलीप कुमार के साथ इस प्रक्रिया में सक्रिय सहयोग और विशेषज्ञता प्रदान की डॉ. प्रकाश कुमार हज़रा, डायरेक्टर एवं हेड – कार्डियोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, ढाकुरिया; डॉ. रबिन चक्रवर्ती, सीनियर कंसल्टेंट – कार्डियोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, ईएम बायपास; तथा डॉ. अनिल कुमार सिंघी, सीनियर कंसल्टेंट – पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी, मणिपाल अस्पताल, ईएम बायपास ने। यह सफलता विभिन्न विभागों के डॉक्टरों के मजबूत सामूहिक सहयोग को दर्शाती है।
इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया में उपयोग किया गया MyCLIP उपकरण पहले केवल दो अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बनाया जाता था, जिससे उपचार की कुल लागत लगभग 30 लाख रुपये तक पहुँच जाती थी। भारत सरकार की मेक इन इंडिया पहल के तहत अब यह उपकरण भारत में ही मेरिल कंपनी द्वारा निर्मित किया जा रहा है, जिससे इसकी लागत लगभग 50 प्रतिशत कम होकर करीब 15 लाख रुपये रह गई है।
रामस्वरूप आसनसोल के एक छोटे व्यवसायी हैं और उनके पास कोई सरकारी स्वास्थ्य बीमा नहीं था। आर्थिक सीमाओं के कारण उनके लिए यह उपचार कराना कठिन था। इस आवश्यकता को समझते हुए, उपकरण निर्माता कंपनी ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) पहल के तहत उपकरण की कीमत में 50 प्रतिशत से अधिक की अतिरिक्त छूट दी। इसके साथ ही मणिपाल फाउंडेशन और एक अन्य सामाजिक संस्था के सहयोग से यह सुनिश्चित किया गया कि मरीज पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त आर्थिक बोझ न पड़े।
माइट्रल रिगर्जिटेशन तब होता है जब हृदय का एक कपाट (वाल्व) ठीक से बंद नहीं हो पाता, जिससे रक्त आगे बढ़ने के बजाय पीछे की ओर बहने लगता है। इससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और मरीज को गंभीर सांस फूलना, अत्यधिक थकान, नींद में परेशानी और लगातार घुटन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। रामस्वरूप रोज़ाना इन्हीं तकलीफों से जूझ रहे थे।
वे डायलेटेड कार्डियोमायोपैथी से पीड़ित थे, जिसमें हृदय बड़ा और कमजोर हो जाता है तथा रक्त पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। उनका LVEF केवल 25 प्रतिशत था, यानी हृदय सामान्य से बहुत कम रक्त पंप कर पा रहा था। इसके अलावा उन्हें गंभीर माइट्रल रिगर्जिटेशन, पल्मोनरी हाइपरटेंशन (फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में उच्च रक्तचाप), हल्का कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (CAD) और उच्च रक्तचाप की समस्या भी थी। इससे पहले उन्हें गंभीर एनेसरका (पूरे शरीर में अत्यधिक सूजन) और हार्ट फेल्योर के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी नाज़ुक स्थिति के कारण सर्जरी द्वारा वाल्व बदलना अत्यधिक जोखिम भरा था। बिना उपचार के उनकी स्थिति लगातार बिगड़ रही थी, इसलिए MyCLIP TEER प्रत्यारोपण का निर्णय लिया गया।
ऐसे उच्च जोखिम वाले मामलों में MyCLIP TEER सिस्टम, जो एक स्वदेशी तकनीक है, एक महत्वपूर्ण विकल्प प्रदान करता है। यह उन मरीजों के लिए डिज़ाइन किया गया है जो अधिक उम्र, शारीरिक कमजोरी, डायबिटीज़, उच्च रक्तचाप, मोटापा, कमजोर या बढ़े हुए हृदय, या किडनी, फेफड़े और लिवर की समस्याओं के कारण ओपन सर्जरी नहीं करवा सकते। यदि गंभीर माइट्रल रिगर्जिटेशन का समय पर इलाज न किया जाए, तो इसके परिणाम बेहद गंभीर हो सकते हैं। अध्ययनों के अनुसार, बिना इलाज के 50 प्रतिशत से अधिक मरीज जीवित नहीं रहते और एक वर्ष में मृत्यु दर 57 प्रतिशत तक हो सकती है। MyCLIP TEER सिस्टम हृदय के माइट्रल कपाट के दोनों हिस्सों को सटीक रूप से पास लाकर रक्त के पीछे की ओर बहाव को रोकता है और हृदय की कार्यक्षमता में सुधार करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर लगभग एक घंटे में पूरी होती है, पैर की नस में एक छोटे छेद के माध्यम से की जाती है और मरीज 3–5 दिनों के भीतर घर लौट सकता है।
रामस्वरूप की प्रक्रिया के दौरान MyCLIP (LW-12/6) उपकरण सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया, जिससे वाल्व से होने वाला गंभीर रिसाव लगभग पूरी तरह नियंत्रित हो गया। इसका असर लगभग तुरंत दिखाई दिया—सांस लेना आसान हो गया, सीने का दबाव कम हुआ, नींद में सुधार हुआ और उनकी समग्र स्थिति स्थिर हो गई। उन्हें दो दिनों के भीतर स्थिर अवस्था में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वे फिर से अपने व्यवसाय में लौट आए। यह प्रक्रिया न केवल पूर्वी भारत के लिए एक बड़ी चिकित्सकीय उपलब्धि है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि स्वदेशी चिकित्सा तकनीक कैसे उन मरीजों के लिए जीवनरक्षक उपचार संभव बना रही है, जिन्हें पहले इलाज के योग्य नहीं माना जाता था।
प्रक्रिया के बारे में बताते हुए डॉ. दिलीप कुमार ने कहा, “गंभीर माइट्रल रिगर्जिटेशन मरीज के जीवन की गुणवत्ता और आयु दोनों को बुरी तरह प्रभावित करता है, खासकर जब इसके साथ कई अन्य बीमारियाँ और कमजोर हृदय कार्यक्षमता हो। रामस्वरूप के मामले में ओपन-हार्ट सर्जरी अत्यधिक जोखिम भरी थी। MyCLIP TEER ने एक कम जोखिम वाला लेकिन प्रभावी विकल्प प्रदान किया, जिससे उन्हें स्वस्थ होने का वास्तविक अवसर मिला। यह प्रक्रिया अत्यंत सावधानीपूर्वक मरीज चयन और सटीक माप की मांग करती है। पूर्वी भारत में पहली बार MyCLIP प्रक्रिया को सफलतापूर्वक करना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। आर्थिक चुनौतियों के बावजूद मेरिल, मणिपाल फाउंडेशन और शहर की कई सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से हम यह उपचार संभव कर पाए। मैं इस अवसर पर कोलकाता के वरिष्ठ और सम्मानित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुमंतो मुखोपाध्याय को भी उनके सक्रिय सहयोग के लिए धन्यवाद देना चाहता हूँ।”
अपना अनुभव साझा करते हुए रामस्वरूप ने कहा, “इस प्रक्रिया से पहले हर सांस लेना एक संघर्ष था। कुछ कदम चलना या लेटकर सोना भी डरावना लगने लगा था। कई रातें बैठकर ही बितानी पड़ती थीं। मुझे लगने लगा था कि शायद अब यही मेरी ज़िंदगी है। MyCLIP प्रक्रिया के बाद बदलाव किसी चमत्कार से कम नहीं है। अब मैं आराम से सांस ले पा रहा हूँ, शांति से सो पा रहा हूँ और शरीर में फिर से ताकत महसूस हो रही है। मणिपाल अस्पताल, ईएम बायपास के डॉ. दिलीप कुमार और पूरी टीम का मैं हमेशा आभारी रहूँगा—उन्होंने मुझे ज़िंदगी का दूसरा मौका दिया।”