अपोलो वीमेन कैंसर सेंटर की नई पहल, ‘चेक-ओलेट’ के माध्यम से चॉकलेट को बनाया हेल्थ रिमाइंडर

नई दिल्ली: इस ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता माह के दौरान, अपोलो वुमन कैंसर सेंटर ने 'चेक-ओलेट' नामक एक अनोखी पहल शुरू की है, जिसमें चॉकलेट के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य के प्रति सजग किया जा रहा है। यह डार्क चॉकलेट बार सामान्य मिठाई नहीं है, बल्कि इसमें छिपा हुआ है एक संदेश - खुद के लिए एक पल निकालें और अपनी सेहत का ध्यान रखें।
ग्लोबोकैन के अनुसार, भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में कैंसर के मामलों और मौतों का प्रमुख कारण है, जो नए मामलों में 13.5% और कुल मौतों में 10.6% का हिस्सा है। इसके बावजूद केवल 1.6% महिलाएं उम्र 30 से 69 के बीच कभी स्तन की जांच (स्क्रीनिंग) कराती हैं।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, अपोलो का उद्देश्य स्व-देखभाल को सामान्य बनाकर महिलाओं को मासिक स्व-परीक्षा की आदत डालवाना है ताकि वे जल्दी से जल्दी बीमारी का पता लगा सकें।
अपोलो हॉस्पिटल के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ. प्रीथा रेड्डी ने कहा, "जब महिलाएं स्वस्थ होंगी, तभी राष्ट्र समृद्ध हो सकेगा। हर महिला की भलाई परिवारों, समुदायों और अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाती है। 'चेक-ओलेट' पहल महिलाओं को याद दिलाती है कि स्व-देखभाल कोई विलासिता नहीं, बल्कि शक्ति है। यह एक स्वस्थ और मजबूत भारत का निर्माण करता है।"
इस चॉकलेट बार पर एक QR कोड है, जिसे स्कैन करते ही एक एनिमेटेड वीडियो खुलता है, जो स्तन स्व-परीक्षा का स्टेप-बाय-स्टेप मार्गदर्शन देता है। इस प्रकार यह पहल शिक्षा और जागरूकता को बडाएगी।
डॉ. गीता कडायप्राथ, लीड – ब्रेस्ट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, अपोलो एथेना वुमन कैंसर सेंटर दिल्ली, ने बताया, "स्तन कैंसर में शुरुआती पहचान ही जीवन बचाती है। स्तन स्व-परीक्षा महिलाओं को अपने शरीर से परिचित कराती है और असामान्य बदलावों को समय पर पहचानने में मदद करती है। 'चेक-ओलेट' एक छोटे पल के आनंद को स्व-देखभाल की याद में बदल देता है।
डार्क चॉकलेट हृदय के लिए लाभकारी होती है और यह पहल महिलाओं के लिए एक सुकून भरे संदेश के समान है।"
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. रमेश सारिन ने भी कहा, "स्तन कैंसर जागरूकता की शुरुआत यही समझ से होती है कि इसकी शुरुआती पहचान से जिंदगी बचाई जा सकती है। एक सरल स्व-परीक्षा ही जल्दी उपचार और देर से पता चलने के बीच का फर्क बन सकती है। 'चेक-ओलेट' पहल संवेदना और जागरूकता को जोड़ती है, चॉकलेट के आरामदायक रूप में महिलाओं को याद दिलाती है कि अपने लिए समय निकालना सम्मान और ताकत है।"
डॉ. ज्योति वाधवा – प्रमुख, मेडिकल और प्रिसिजन ऑन्कोलॉजी, अपोलो अस्पताल ने कहा कि ब्रैस्ट कैंसर महिलाओं के लिए एक अनोखी यात्रा होती है। हर महिला की यह यात्रा भी अलग होती है क्योंकि अब इलाज वैज्ञानिक रूप से बहुत उन्नत हो चुका है। आज हम ट्यूमर के टिश्यू का जीनोमिक प्रोफाइलिंग कर सकते हैं, जिससे इलाज पूरी तरह से व्यक्तिगत होता है।
यही वजह है कि हर महिला का इलाज उसके शरीर और बीमारी की खासियत के मुताबिक किया जाता है, ताकि बेहतरीन परिणाम मिल सकें।
जया जैतली, वरिष्ठ राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और दस्तकारी हाट समिती की संस्थापक अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं को खुद को सिर्फ सेविका नहीं समझना चाहिए। उन्हें सबसे पहले अपनी सेहत की चिंता करनी चाहिए, तभी वे बेहतर कर पाएंगी। जो हम महिलाओं का सशक्तिकरण कहते हैं, वह खुद की सुरक्षा से शुरू होता है।
स्वास्थ्य के लिहाज से भी डार्क चॉकलेट में एंटीऑक्सिडेंट्स और फ्लावोनॉयड्स होते हैं, जो सूजन कम करने, हृदय स्वास्थ्य में सुधार करने और मूड को तरोताजा रखने में मदद करते हैं। इसलिए ‘चेक-ओलेट’ केवल स्वाद का आनंद नहीं है बल्कि यह महिलाओं को स्वास्थ्य की देखभाल का आरामदायक और अर्थपूर्ण तरीका भी प्रदान करता है।
यह पहल सिर्फ एक कैंसर जागरूकता अभियान नहीं है, बल्कि महिलाओं को अपनी सेहत का ख्याल रखने के लिए एक आंदोलन है। छोटे-छोटे मासिक प्रयासों के माध्यम से, अपोलो ने यह संदेश दिया है कि सेहत की देखभाल एक सरल और स्नेहपूर्ण अनुष्ठान हो सकती है।
ऑरोली मिठाई में छुपा स्वास्थ्य संदेश महिलाओं को अपने जीवन को सँवारने का अवसर देता है और यह साबित करता है कि स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता को रचनात्मकता और सहानुभूति के साथ जोड़ा जा सकता है। ‘चेक-ओलेट’ एक स्वीट स्टॉप है, जो जीवन बचाने का काम कर सकता है।


