कर्टिन यूनिवर्सिटी की एक नई रिपोर्ट प्रवासी और शरणार्थी महिलाओं को घरेलू और पारिवारिक हिंसा (FDV) से बेहतर सुरक्षा देने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करती है। रिपोर्ट चेतावनी देती है कि कोविड-19 महामारी के दौरान उजागर हुई संरचनात्मक कमियां आज भी पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की सबसे कमजोर समुदायों को प्रभावित कर रही हैं।

हेल्थवे द्वारा वित्तपोषित SHAKTI प्रोजेक्ट कम्युनिटी रिपोर्ट बताती है कि सांस्कृतिक और भाषाई विविधता (CALD) से जुड़े समुदायों की महिलाएं अलगाव, आर्थिक कठिनाई, भावनात्मक शोषण और वीज़ा संबंधी कमजोरियों जैसी समस्याओं का सामना कर रही हैं—जो महामारी के दौरान और बढ़ गईं।

इस प्रोजेक्ट में हिंसा झेल चुकी CALD महिलाओं ने शोधकर्ताओं और फ्रंटलाइन एजेंसियों के साथ मिलकर SHAKTI Self-Help and Safety Intervention (SHSI) टूल को विकसित किया और इसका परीक्षण किया।

इसका परिणाम एक ऐसा विशेष रूप से तैयार किया गया संसाधन है जो WA की कमजोर महिलाओं को हिंसा पहचानने, सुरक्षा की योजना बनाने और सहायता प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।

कर्टिन स्कूल ऑफ पॉपुलेशन हेल्थ की प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर जया दांता ने कहा कि- "यह टूल घरेलू हिंसा का सामना कर रही प्रवासी और शरणार्थी महिलाओं को शिक्षित, सक्षम और समर्थित करने में मदद करेगा।"

उन्होंने कहा, “कई प्रवासी और शरणार्थी महिलाओं के लिए महामारी ने सिर्फ हिंसा का खतरा नहीं बढ़ाया, बल्कि पहले से मौजूद असमानताओं को और गहरा कर दिया और मदद मांगना बेहद कठिन बना दिया।”

उन्होंने आगे कहा, “कठिन परिस्थितियों के बावजूद इस प्रोजेक्ट में शामिल महिलाओं ने अद्भुत मजबूती दिखाई। उनके अनुभव बताते हैं कि सेवाओं को अधिक सहायक और सुलभ बनाने के लिए क्या जरूरी कदम उठाने चाहिए।”

सह-शोधकर्ता और जॉन कर्टिन डिस्टिंग्विश्ड प्रोफेसर डोना चुंग ने कहा कि "निष्कर्ष बताते हैं कि CALD पृष्ठभूमि वाली महिलाओं के लिए तत्काल और अधिक सहायता की जरूरत है"। प्रोफेसर चुंग को हाल ही में Australian Research Magazine 2026 में अपने क्षेत्र की प्रमुख विशेषज्ञों में शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा, “सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त सहायता कोई विकल्प नहीं—यह आवश्यक है। इसके बिना महिलाओं को अधिक खतरा, अधिक अकेलापन और सुरक्षा के कम रास्ते मिलते हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “CALD समुदायों की महिलाएं अब भी सिस्टम की खामियों के कारण सहायता से वंचित रह जाती हैं। हमारी रिपोर्ट बताती है कि अभी कौन से कदम उठाने आवश्यक हैं ताकि ये महिलाएं कभी भी सुरक्षा, जानकारी या सहायता से वंचित न रहें।”

कर्टिन स्कूल ऑफ एजुकेशन की प्रोफेसर सेनडर डोवचिन, जो प्रोजेक्ट की एक शोधकर्ता भी हैं, इस बात का अध्ययन करती हैं कि भाषा संबंधी चुनौतियां और भाषाई नस्लवाद प्रवासी और शरणार्थी महिलाओं को कैसे प्रभावित करता है। प्रोफेसर डोवचिन को भी Australian Research Magazine 2026 में अपने क्षेत्र की प्रमुख विशेषज्ञ के रूप में मान्यता मिली है।

उन्होंने कहा, “महिलाओं ने बार-बार कहा कि वे ऐसे संसाधन चाहती हैं जो उनकी संस्कृति, भाषा और जीवन अनुभवों को दर्शाएं। SHAKTI टूल इसलिए प्रभावी होगा क्योंकि इसे CALD महिलाओं ने मिलकर बनाया है।”

SHAKTI टूल का परीक्षण और मूल्यांकन 58 प्रतिभागियों द्वारा किया गया, जिनमें CALD महिलाएं और FDV सेवा प्रदाता शामिल थे।

फीडबैक में सुझाव दिए गए कि FDV को सांस्कृतिक रूप से स्वीकार्य लेकिन स्पष्ट तरीके से प्रस्तुत किया जाए, हिंसा की परिभाषा को विस्तृत किया जाए और सामग्री को सरल एवं संक्षिप्त अंग्रेज़ी में लिखा जाए ताकि पढ़ने में आसानी हो।

प्रतिभागियों ने SHSI को CALD समुदायों तक पहुंचाने के लिए कई रणनीतियां सुझाईं—जैसे ऑस्ट्रेलिया आने के तुरंत बाद जानकारी देना, सामुदायिक समूहों के माध्यम से साझा करना और सोशल मीडिया का उपयोग करना।

शोधकर्ताओं ने अब कई नीति सुझाव दिए हैं—जैसे FDV से बचकर आने वाली प्रवासी महिलाओं के लिए वीज़ा सहायता की समीक्षा, वित्तीय मदद और अस्थायी आवास बढ़ाना, भाषा सीखने के कार्यक्रम मजबूत करना, मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करना, कानूनी प्रक्रिया को समझने में मदद देने के तंत्र विकसित करना और समुदाय में जागरूकता बढ़ाना।

Stuti Tiwari
Stuti Tiwari

Stuti Tiwari joined Medical Dialogues in 2025 as a Hindi Content Writing Intern. She is currently pursuing a Bachelor’s degree in Journalism from the University of Delhi. With a strong interest in health journalism, digital media, and storytelling, Stuti focuses on writing, editing, and curating Hindi health content. She works on producing informative, engaging, and accurate articles to make healthcare news and updates more understandable and relatable for Hindi-speaking audiences.