भारत में टीबी के मामलों में 21% की गिरावट, फिर भी दुनिया के हर चौथे रोगी का केंद्र बना देश: WHO रिपोर्ट 2025

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पिछले नौ वर्षों में टीबी के मामलों में गिरावट तो दर्ज की है, लेकिन यह अब भी WHO के “End TB” लक्ष्य से बहुत पीछे है।

Update: 2025-11-13 06:30 GMT

नई दिल्ली:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ग्लोबल टीबी रिपोर्ट 2025 के मुताबिक भारत ने 2015 से 2024 के बीच टीबी (क्षय रोग) के मामलों में 21% की कमी और मौतों में 28% की गिरावट दर्ज की है। इसके बावजूद, भारत अभी भी दुनिया के कुल टीबी मामलों और मौतों का लगभग 25% हिस्सा है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में लगभग 27.1 लाख नए टीबी मामले और 3 लाख से अधिक मौतें दर्ज की गईं। वैश्विक स्तर पर इसी साल 10.7 मिलियन लोग टीबी से बीमार हुए और 1.23 मिलियन की मौतें हुईं। यानी हर चार में से एक टीबी मरीज भारत से था।

टीबी घटा, लेकिन लक्ष्य अब भी दूर

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने पिछले नौ वर्षों में टीबी के मामलों में गिरावट तो दर्ज की है, लेकिन यह अब भी WHO के “End TB” लक्ष्य से बहुत पीछे है।
WHO के अनुसार, 2025 तक टीबी संक्रमण में 50% और मौतों में 75% की कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया था। भारत ने अब तक इस लक्ष्य का आधा रास्ता ही तय किया है।

हालांकि, भारत की प्रगति वैश्विक औसत से बेहतर है — दुनियाभर में टीबी के मामलों में केवल 12% की कमी आई है। भारत ने 2025 तक टीबी खत्म करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया था, जो वैश्विक लक्ष्य से पाँच साल पहले था।

इलाज और पहचान में बड़ी प्रगति

रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में भारत में टीबी के 92% मरीजों की पहचान और इलाज किया गया — जबकि 2023 में यह आंकड़ा 85% और 2015 में केवल 53% था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, यह सुधार नई तकनीकों, स्थानीय स्तर पर सेवाओं के विस्तार, और समुदाय आधारित जागरूकता अभियानों की वजह से संभव हुआ है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट कर बताया कि “भारत की नवाचार आधारित रणनीति, तकनीकी प्रयोग और सामुदायिक भागीदारी ने टीबी उपचार कवरेज को 53% से बढ़ाकर 92% तक पहुंचा दिया है,”






नई तकनीक और जागरूकता से बदले नतीजे

मंत्रालय ने बताया कि AI-सक्षम पोर्टेबल एक्स-रे मशीनों और मॉलिक्यूलर टेस्टिंग के विस्तार से अब लक्षण-रहित टीबी मरीजों की भी जल्दी पहचान हो रही है। इससे “मिसिंग केस” यानी बिना इलाज वाले मरीजों की संख्या में बड़ी कमी आई है।

आगे की राह

विशेषज्ञों का कहना है कि भले ही भारत की प्रगति सराहनीय है, लेकिन टीबी उन्मूलन 2025 तक संभव नहीं दिखता।
भविष्य में सफलता के लिए समय पर पहचान, तकनीकी निवेश, पोषण सहायता और समुदाय की भागीदारी अहम भूमिका निभाएगी।

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