आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की क्वालिटी जांच के लिए 108 लैब्स को मिली मंजूरी
108 लैब्स को आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता जांच की अनुमति मिली।
आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 108 नई लैबों को मंजूरी दी।
नई दिल्ली: केंद्रीय आयुष मंत्रालय लगातार चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकों को सुधारने के लिए कई सराहनीय कदम उठा रहा है। इसी दिशा में मंत्रालय ने हाल ही में आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी दवाओं की गुणवत्ता की जांच और परीक्षण को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए 108 नए लैबोरेटरी खोलने की मंजूरी दी है।
आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने इस निर्णय की जानकारी साझा करते हुए बताया कि इन 108 लैबों को औषधि नियम, 1945 के प्रावधानों के तहत लाइसेंस प्रदान किया जाएगा।
इसके अलावा मंत्रालय ने पहले से मौजूद 34 स्टेट ड्रग टेस्टिंग लैबोरेटरी को भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और संचालन क्षमता के लिए समर्थन प्रदान किया है, ताकि वे अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें। केंद्रीय स्तर पर सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेद साइंसेज के तीन रीजनल रिसर्च इंस्टीट्यूशन को भी ड्रग्स रूल्स, 1945 के रूल 160E के तहत मंजूरी दी गई है, जिससे उनका संचालन और अनुसंधान कार्य अधिक संगठित और प्रभावी तरीके से किया जा सके।
आयुष मंत्री ने बताया कि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं के लिए फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम को देशभर में लागू किया गया है। यह कार्यक्रम केंद्रीय क्षेत्र योजना और आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना के तहत संचालित होगा।
देशभर में स्थापित राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र, 5 मध्यवर्ती फार्माकोविजिलेंस केंद्र और 97 परिधीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों के माध्यम से दवाओं की निगरानी की जाएगी।
इन केंद्रों को भ्रामक विज्ञापनों की पहचान करने और संबंधित राज्य नियामक प्राधिकरणों को रिपोर्ट करने का कार्य भी सौंपा गया है, जिससे दवाओं से संबंधित झूठी या भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। अब तक इस अभियान के तहत पूरे देश में 3,533 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं।
इसके अलावा आयुष मंत्री ने आयुर्वेद के प्रचार और प्रसार को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और कॉलेजों में स्वास्थ्य शिक्षा पाठ्यक्रम में आयुर्वेद को शामिल करने की योजना बनाई है। इस दिशा में पाठ्यक्रम मॉड्यूल तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही अनिवार्य रूप से लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य न केवल छात्रों में आयुर्वेद के महत्व के प्रति जागरूकता बढ़ाना है, बल्कि उन्हें स्वास्थ्य और जीवनशैली संबंधी बेहतर ज्ञान प्रदान करना भी है।
इस प्रकार मंत्रालय की यह पहल न केवल दवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करेगी, बल्कि देश में आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों के सुरक्षित और प्रभावी उपयोग को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।