बिहार के अस्पतालों में बढ़े सर्दी जुकाम के मरीज, स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

बदलते मौसम और बढ़ती ठंड के साथ बिहार के अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, वायरल और सांस से जुड़ी बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

Update: 2025-12-26 14:15 GMT

पटना में ठंड बढ़ते ही बिहार के सरकारी अस्पतालों में सर्दी, जुकाम, वायरल बुखार और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मौसम में अचानक आए बदलाव का असर खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों पर ज्यादा देखने को मिल रहा है। इस स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए हैं और कुछ अस्पतालों को रेड अलर्ट मोड पर रखा गया है।

पटना के सिविल सर्जन डॉ. अविनाश कुमार सिंह के अनुसार, सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण, बुखार और श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आ रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए सभी सरकारी अस्पतालों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिए 30 से 60 कंबलों की व्यवस्था की गई है, ताकि ठंड से बचाव किया जा सके। इसके अलावा सभी वार्ड, हॉल और मरीजों के कमरों में हीटर लगाने के निर्देश भी दिए गए हैं।

डॉ. सिंह ने कहा कि गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के लिए विशेष सावधानी बरती जा रही है। जहां-जहां नवजात बच्चे भर्ती हैं, वहां अतिरिक्त गर्मी और सुरक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, ताकि बच्चों को ठंड से होने वाली बीमारियों से बचाया जा सके।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सर्दी, खांसी और बुखार से जुड़ी सभी जरूरी दवाएं अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराई जा रही हैं। मरीजों को इन दवाओं के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ रहा है। साथ ही, अस्पतालों में 10 बेड विशेष रूप से सर्दी से जुड़ी जटिल बीमारियों के मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं। ठंड के मौसम में लकवा, हार्ट अटैक और सांस की गंभीर समस्याओं के मामले बढ़ने की आशंका रहती है, इसलिए ऐसे मरीजों के इलाज के लिए अस्पताल पूरी तरह तैयार हैं।

डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने लोगों को सावधानी बरतने की सलाह भी दी है। उन्होंने बताया कि सर्दियों में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कोल्ड डायरिया का खतरा बढ़ जाता है, जबकि बुजुर्गों में सांस से जुड़ी समस्याएं अधिक देखी जाती हैं। बढ़ता प्रदूषण और कोहरे की वजह से फेफड़ों की कार्यक्षमता पर भी असर पड़ता है। मधुमेह, ब्लड प्रेशर और श्वसन रोग से पीड़ित मरीजों को खासतौर पर ठंड में अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत है।

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि समय पर इलाज और सावधानी से सर्दियों में होने वाली बीमारियों से बचाव संभव है, और इसके लिए अस्पताल पूरी तरह तैयार हैं।

With Inputs From IANS

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