एनआईटी राउरकेला ने प्राकृतिक मानवीय संवाद करने में सक्षम स्वदेशी एआई रोबोट के लिए पेटेंट प्राप्त किया
राउरकेला: राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान राउरकेला (एनआईटी राउरकेला) के अन्वेषकों ने एक ऐसा रोबोटिक सिस्टम विकसित किया है जो लोगों के साथ एक इंसान की तरह संवाद करने में सक्षम है। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और लार्ज लैंग्वेज मॉडल्स (एलएलएम) का इस्तेमाल करते हुए मनुष्य-मशीन सहज संवाद पर जोर दिया है। इसके लिए मौखिक और गैर-मौखिक (वर्बल और नॉन-वर्बल) संवाद को परस्पर जोड़ा गया है।
यह सिस्टम उपयोग में आसान है और रोज़मर्रा की भाषा समझने, बताए गए निर्देशों का पालन करने, सवालों के जवाब देने और पहले से कोड किए गए जवाबों से आगे बढ़ कर वास्तविक समय में संवाद करने में भी सक्षम है।
यह सिस्टम एक मैत्रीपूर्ण साथी के रूप में सेवा देने के लिए विकसित किया गया है जो घरों, कक्षाओं, कार्यालयों, अस्पतालों और सामुदायिक स्थानों में बातचीत करने में सक्षम है। इस विकसित नवाचार और प्रणाली के लिए एनआईटी राउरकेला ने पेटेंट हासिल किया है (पेटेंट नंबर 574589, आवेदन संख्या 202531022107)।
इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित जर्नल, कंप्यूटर्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (एल्सेवियर), में प्रकाशित किए गए हैं जिसमें सह-लेखक के रूप में एनआईटी राउरकेला के कंप्यूटर साइंस एवं इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनूप नंदी, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. असीम कुमार नस्कर और रिसर्च स्कॉलर श्री सौगतमोय बिस्वास के साथ एम टेक ग्रेजुएट श्री राहुल साव शामिल हैं।
इस सिस्टम में अर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इंटीग्रेशन से रोबोट उपयोगकर्ताओं के चेहरे के हाव-भाव जैसे खुशी, सामान्य या उदासी को भांप कर उनकी भावनाओं को समझ सकता है। यह सुविधा रोबोट को सहानुभूतिपूर्ण और सुखद प्रतिक्रिया देने में सक्षम बनाती है।
इसके अलावा यह सिस्टम हाथ हिलाने और हाथ उठाने जैसे आम इशारों को भी समझ सकता है और उसी के अनुसार सही प्रतिक्रिया देने में सक्षम है। यह क्षमता रोबोट को सभी आयु वर्ग के उपयोगकर्ताओं, जैसे बच्चे और बुजुर्ग, के लिए सुलभ बनाती है, जो बोले गए आदेशों की बजाय प्राकृतिक इशारों पर अधिक निर्भर हो सकते हैं।
यह सिस्टम बात करने पर यूज़र्स का अभिवादन कर सकता है, उन्हें दिशा-निर्देश दे सकता है और सहज सुनाई देने वाली आवाज़ में जवाब दे सकता है। यह रोबोट यूज़र इनपुट जैसे बताए गए कमांड या टेक्स्ट पर आधारित सवालों को प्रोसेस करने के लिए रैस्पबेरी पाई सिस्टम का इस्तेमाल करता है। एलएलएम इस इनपुट को एनालाइज़ करता है, कॉन्टेक्स्ट तय करता है और फिर एक इंसान की तरह जवाब देता है।
इसके बाद गूगल टेक्स्ट-टू-स्पीच की मदद से रोबोट के स्पीच सिस्टम से यह आउटपुट दिया जाता है। संस्थान में विकसित इस सिस्टम के बारे में एनआईटी राउरकेला के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनूप नंदी ने बताया, ‘‘अपने देश में विकसित यह रोबोटिक सिस्टम भारत सरकार के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत जैसी पहल पर खरा उतरता है।
दुनिया में उपलब्ध अन्य सिस्टमों की तुलना में एनआईटी राउरकेला का यह रोबोट एक विशेष इंटीग्रेटेड फ्रेमवर्क पेश करता है जो भारतीय परिवेश के लिए उपयुक्त है। किफायती दर पर उपलब्ध इस रोबोट में लोगों के जेस्चर, इमोशन, स्पीच और एलएलएम आधारित संवाद की क्षमता को जोड़ा गया है।’’
रोबोट के मूवमेंट में आसानी के लिए इसमें व्हील वाला प्लेटफॉर्म और नेविगेशन सिस्टम लगाया गया है। साथ ही, बिल्ट-इन डिस्टेंस-सेंसिंग मॉड्यूल इसे बाधाओं से बचने और भीड़-भाड़ वाले माहौल में सुरक्षित रूप से चलने में सक्षम बनाता है।
विभिन्न सामाजिक परिवेशों में इस सिस्टम के उपयोग की व्यापक संभावना है।
- घरेलू सेटअप में, यह रोबोट बुजुर्गों की मदद कर सकता है, इशारों और चेहरे के हाव-भाव को पहचान सकता है, साथी की तरह व्यवहार कर सकता है और सरल आदेशों का उत्तर दे सकता है।
- शैक्षिक केंद्रों में, यह छात्रों के साथ इशारों के माध्यम से बातचीत करके लर्निंग मॉड्यूल का समर्थन कर सकता है और जटिल विषयों के लिए संवाद-आधारित व्याख्याएँ प्रदान कर सकता है।
- अस्पताल, काम-काज की जगह और कम्युनिटी में भी यह रोबोट दोस्त की तरह मदद कर सकता है।
यह नेविगेशन में सहायता करने से लेकर, बोल कर, या हाथ से किए गए इशारों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के स्पष्ट उत्तर देने में सक्षम है। यह विशेषताएँ इस रोबोट को भीड़ में भी सहज संवाद करने में सक्षम बनती है। एनआईटी राउरकेला में विकसित इस रोबोट की अनुमानित लागत निर्माण के पैमाने और घटकों के अनुकूलन के आधार पर ₹80,000 से ₹90,000 के बीच होने की उम्मीद है।
अगले चरण के रूप में, शोध टीम रोबोट की संवाद क्षमताओं में सुधार करने, स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक वातावरण में वास्तविक दुनिया में पायलट परीक्षण करने, तथा इसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए उपयोगकर्ताओं से प्रतिक्रिया एकत्र करने की योजना बना रही है। इसके अतिरिक्त, शोधकर्ता तकनीक के व्यावसायीकरण के लिए रोबोटिक्स, एआई और सहायक तकनीकों के क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों के साथ संभावित सहयोग के अवसरों की भी तलाश कर रहे हैं।