तीन परिवार, एक उम्मीद: मैक्स अस्पताल में सफल थ्री-वे किडनी स्वैप ट्रांसप्लांट

Update: 2025-11-20 09:00 GMT

नई दिल्ली: इंसानियत और आपसी भरोसे की एक अनोखी मिसाल पेश करते हुए तीन परिवार मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में एक-दूसरे की जान बचाने के लिए एक दुर्लभ थ्री-वे पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट के लिए एकजुट हुए। एक ही दिन में छह ऑपरेशन एक साथ किए गए, जिससे किडनी फेलियर से जूझ रहे तीन मरीजों को नई जिंदगी मिली। सभी छह मरीज—डोनर और रेसीपिएंट—अच्छी तरह स्वस्थ होकर एक सप्ताह के भीतर अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए।

रेसीपिएंट में शामिल थे:

शादाब अली (36), रानीगंज, पश्चिम बंगाल

जोगिंदर कुमार (52), हरि नगर, नई दिल्ली

विनोद कुमार (51), ओबरा, बिहार

ये सभी गंभीर किडनी रोग से पीड़ित थे और लंबे समय से डायलिसिस पर निर्भर थे। शादाब को IgA नेफ्रोपैथी और पेरिफेरल न्यूरोपैथी थी। जोगिंदर की पहले की किडनी ट्रांसप्लांट विफल हो चुकी थी और उनकी दिल की कार्यक्षमता कम थी। विनोद को कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज था और पहले उनका CABG (बायपास सर्जरी) हो चुका था।

तीनों के परिवार में कोई न कोई सदस्य किडनी दान करने को तैयार था, लेकिन ब्लड ग्रुप न मिलने के कारण सीधे दान करना संभव नहीं था। इसलिए तीनों परिवारों ने पेयर्ड किडनी ट्रांसप्लांट का विकल्प चुना—एक ऐसा एक्सचेंज सिस्टम जिसमें परिवार आपस में दानकर्ता बदलते हैं ताकि हर मरीज को मैचिंग किडनी मिल सके।

इस व्यवस्था के तहत:

शादाब की पत्नी सिमरन परवीन (30) ने किडनी जोगिंदर को दी

जोगिंदर की बहन सुमन (41) ने किडनी विनोद को दी

विनोद की पत्नी पूनम देवी (51) ने किडनी शादाब को दी

डॉ. दिनेश खुड़लर, ग्रुप चेयरमैन, नेफ्रोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांट मेडिसिन, मैक्स अस्पताल, ने कहा,

“भारत में किडनी ट्रांसप्लांट ज्यादातर लिविंग रिलेटेड डोनर्स पर निर्भर है, लेकिन न्यूक्लियर फैमिली के बढ़ने से यह पूल छोटा होता जा रहा है। कई बार ब्लड ग्रुप mismatch या पिछले ट्रांसप्लांट/प्रेग्नेंसी के कारण सेंसिटाइजेशन होने से दान संभव नहीं होता। ऐसी स्थिति में पेयर्ड या स्वैप ट्रांसप्लांट ही रास्ता बनता है। APKD सॉफ्टवेयर की मदद से तीन परिवारों के बीच scientifically matching संभव हुई और सभी ट्रांसप्लांट एक ही दिन में सफलतापूर्वक किए जा सके।”

ट्रांसप्लांट टीम का नेतृत्व डॉ. अनंत कुमार, चेयरमैन, यूरोलॉजी, रीनल ट्रांसप्लांट और रोबोटिक्स ने किया। सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक छह ऑपरेशन थिएटरों में समानांतर रूप से छह बड़ी सर्जरी की गईं—एक बेहतरीन समन्वय का उदाहरण।

डॉ. अनंत कुमार ने कहा,

“ऐसे मल्टी-पेयर स्वैप सिर्फ सर्जिकल कौशल नहीं बल्कि परिवारों के बीच गहरे भरोसे और भावनात्मक मजबूती की मांग करते हैं। cardiac और neurological जटिलताओं वाले मरीजों के साथ छह ऑपरेशन एक साथ करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन अस्पताल टीम और परिवारों के सहयोग ने इसे सफल बनाया।”

चिकित्सा उपलब्धि के अलावा यह मामला मानवता, एकता और विश्वास की भी मिसाल बन गया—जहां अलग-अलग धर्म और क्षेत्रों के परिवार एक-दूसरे के लिए जीवनदान बन गए।

यह सफलता मैक्स हेल्थकेयर की जटिल ट्रांसप्लांट प्रक्रियाओं में विशेषज्ञता और अंगदान को सामाजिक आंदोलन के रूप में बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।

अब तीनों मरीज लगातार रिकवरी पर हैं और यह कहानी विज्ञान, भरोसे और साझा मानवता की शक्ति को दर्शाती है।

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