हानिकारक AQI और आंखों का स्वास्थ्य: वायु प्रदूषण से अपनी आंखों की सुरक्षा के लिए शीर्ष सुझाव – डॉ अंकित देवकर
वायु प्रदूषण आंखों के लिए खतरा है। सुरक्षा चश्मा पहनें, आर्टिफिशियल टियर्स इस्तेमाल करें और आंखों की देखभाल करें।
वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर से हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा बन गया है। हम अक्सर इसे श्वसन समस्याओं से जोड़ते हैं और अपनी आंखों के स्वास्थ्य की अनदेखी कर देते हैं। हमारी आंखें संवेदनशील होती हैं और प्रदूषित हवा या स्मॉग में मौजूद हानिकारक रसायन और कणों (Nitrogen Oxide और Carbon Oxides) से प्रभावित हो सकती हैं।
AQI 0 से 500 के पैमाने पर मापा जाता है। 50 से कम सुरक्षित माना जाता है और 300 से अधिक होने पर रेड अलर्ट जारी होता है। जब प्रदूषण इस स्तर तक पहुंचता है, तो सूक्ष्म कण हवा में तैरते रहते हैं। ये आंखों की आंसू परत में प्रवेश कर सकते हैं, सूजन पैदा कर सकते हैं और आंखों के सामान्य कार्य को बाधित कर सकते हैं।
लंबे समय तक आंखों का प्रदूषित हवा के संपर्क में रहना कई समस्याओं को जन्म दे सकता है, जैसे ड्राई आई सिंड्रोम, मैक्यूलर डिजेनरेशन, मोतियाबिंद, ग्लॉकोमा और अन्य स्थितियां।
वायु प्रदूषण आंखों को कैसे नुकसान पहुंचाता है
सघन कण (Particulate Matter): निर्माण कार्य, वाहन उत्सर्जन और उद्योगों से आने वाले सूक्ष्म कण स्मॉग बनाते हैं। ये आंख की सतह को सीधे प्रभावित कर सकते हैं।
जहरीले रसायन (Toxic Chemicals): सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक जब सूरज की रोशनी से मिलते हैं, तो ओज़ोन जैसी खतरनाक सामग्री बनती है। लंबे समय तक संपर्क से एलर्जी और लगातार आंखों की जलन हो सकती है।
एलर्जन (Allergens): प्रदूषित क्षेत्रों में हवा में परागकण और फफूंदी के बीजाणु बढ़ जाते हैं। यह आंखों में एलर्जी और जलन पैदा कर सकता है।
हमारी आंखें अक्सर सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। जब हम बाहर जाते हैं, तो सूक्ष्म कण, रसायन और गैसें आंखों की संवेदनशील सतह से संपर्क करती हैं। इससे dryness, जलन या रेत जैसी अनुभूति हो सकती है। आंसू की पतली परत (tear film) प्रदूषित हवा से प्रभावित होती है, जिससे आंखें जल्दी लाल और जलन वाली हो जाती हैं।
जब AQI कम होता है, प्रदूषित हवा लगातार आंखों को प्रभावित करती है, जिससे एलर्जिक कॉन्जंक्टिवाइटिस और आंखों में पानी, सूजन और खुजली हो सकती है। उच्च प्रदूषण वाले दिनों में थोड़ी देर बाहर रहने या पैदल चलने से भी आंखों में तनाव और जलन हो सकती है।
लंबे समय तक प्रदूषण से होने वाला ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है और उम्र से जुड़ी मैक्यूलर डिजेनरेशन का खतरा बढ़ा सकता है। कुछ प्रदूषक लेंस को भी प्रभावित कर मोतियाबिंद पैदा कर सकते हैं, जिससे दृष्टि धीरे-धीरे कम होती है। कुछ अध्ययन बताते हैं कि लंबे समय तक खराब वायु गुणवत्ता ऑप्टिक नर्व को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे ग्लॉकोमा का खतरा बढ़ता है।
अपनी आंखों की सुरक्षा कैसे करें
बाहर सुरक्षा चश्मा पहनें: रैपअराउंड या UV प्रोटेक्टिव चश्मे धूल और अन्य कणों से आंखों की सुरक्षा करते हैं।
आंखें नम रखें: प्रिज़र्वेटिव-फ्री आर्टिफिशियल टियर्स का इस्तेमाल करें।
आंखें मत रगड़ें: इससे एलर्जन और प्रदूषक सीधे आंखों में जाते हैं और जलन बढ़ती है।
घर में हवा की गुणवत्ता बनाए रखें: एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें, खिड़कियां बंद रखें और एयर फिल्टर नियमित बदलें।
हाइड्रेटेड रहें: पर्याप्त पानी पीना आंखों के लिए जरूरी है।
स्क्रीन टाइम से ब्रेक लें: प्रदूषण और लंबे स्क्रीन समय से ड्राई आई और असुविधा हो सकती है। 20-20-20 नियम अपनाएं।
ठंडी सिकाई करें: घर लौटने के बाद ठंडी सिकाई से जलन और सूजन कम होती है।
पर्यावरण में धुंध और प्रदूषण की वजह से आंखों की सुरक्षा एक जरूरी चिंता बन गई है। समय पर आंखों के डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। यदि समय पर इलाज न हो, तो गंभीर आंखों की समस्याएं हो सकती हैं। डॉक्टर धूल हटाने के लिए आई ड्रॉप्स या अन्य उपचार सुझा सकते हैं।
कारण जानें, लक्षणों के प्रति सतर्क रहें और प्रदूषण के गंभीर प्रभावों से अपनी आंखों की सुरक्षा करें। इस तरह आप अपनी दृष्टि को साफ और स्वस्थ रख सकते हैं।
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