ध्यान की कमी और Hyperactivity: ADHD के लक्षण, कारण और समाधान
भारत में 5–10% बच्चे और 2–5% वयस्क ADHD से प्रभावित हैं, जो पढ़ाई, रिश्तों, आत्मविश्वास और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
ADHD यानी Attention Deficit Hyperactivity Disorder एक ऐसी स्थिति है जिसमें बच्चे, किशोर या वयस्क ध्यान लगाने में मुश्किल, बहुत ज़्यादा एक्टिव रहना या जल्दबाजी में फैसले लेना जैसे लक्षण दिखाते हैं। यह कोई बुरी परवरिश, आलस या व्यवहार की गलती नहीं है—यह दिमाग के काम करने के तरीके से जुड़ी एक मेडिकल कंडीशन है।
भारत में लगभग 5–10% बच्चे इस स्थिति से प्रभावित हैं, जबकि वयस्कों में अनुमानित 2–5% लोग ADHD के लक्षण महसूस करते हैं। यह स्थिति केवल पढ़ाई या काम को प्रभावित नहीं करती, बल्कि सामाजिक जीवन, मानसिक स्वास्थ्य और आत्मविश्वास पर भी असर डाल सकती है।
ADHD के कारणों में मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर असंतुलन, अनुवांशिक प्रवृत्ति, पर्यावरणीय कारक और गर्भावस्था में जोखिम शामिल हैं। बच्चों में ध्यान केंद्रित करने की कठिनाई, सीखने में परेशानी, बार-बार भूलना और impulsive व्यवहार आम लक्षण हैं।
वयस्कों में यह नौकरी और रिश्तों को प्रभावित कर सकता है। समय पर निदान और उपचार से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
बच्चों में यह पढ़ाई में ध्यान न लगने, बार-बार गलती करने, निर्देश न मान पाने और अत्यधिक चंचलता के रूप में दिखता है, जबकि वयस्कों में काम पूरा न कर पाना, समय प्रबंधन में दिक्कत, भूलने की आदत और भावनात्मक अस्थिरता आम होती है।
ADHD के लक्षण और कारण:
- ध्यान की कमी, अति सक्रियता और आवेगशीलता सबसे आम लक्षण हैं।
- बच्चों और किशोरों में पढ़ाई, खेल और सामाजिक जीवन प्रभावित हो सकता है।
- वयस्कों में कार्यस्थल और रिश्तों पर असर पड़ता है।
- अनुवांशिक कारण, मस्तिष्क के रासायनिक असंतुलन और पर्यावरणीय कारक ADHD में भूमिका निभाते हैं।
- गर्भावस्था में धूम्रपान, शराब या जन्म के समय जोखिम भी योगदान दे सकते हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार ADHD का एक बड़ा कारण जेनेटिक होता है, यानी यह परिवार में चल सकता है। इसके अलावा गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान या शराब सेवन, समय से पहले जन्म, कम जन्म वजन और बचपन में दिमागी विकास से जुड़े कारक भी जोखिम बढ़ा सकते हैं।
यह समझना ज़रूरी है कि ADHD किसी की परवरिश की कमी या आलस्य का नतीजा नहीं है, बल्कि यह मस्तिष्क के काम करने के तरीके से जुड़ी एक चिकित्सीय स्थिति है।
निदान और उपचार:
- विशेषज्ञ ADHD मूल्यांकन के लिए व्यवहार, ध्यान और दैनिक जीवन पर प्रभाव देखते हैं।
- दवाएँ (स्टिमुलेंट और गैर‑स्टिमुलेंट) लक्षणों को सहनीय बनाती हैं।
- व्यवहारिक थेरापी और व्यावहारिक सुधार दिनचर्या को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
- समय पर पहचान और उपचार से शैक्षणिक, सामाजिक और पेशेवर जीवन बेहतर बनता है।
- जागरूकता बढ़ाने और स्क्रीन टाइम नियंत्रित करने से लक्षणों में सुधार संभव है।
अच्छी बात यह है कि सही इलाज और सपोर्ट से ADHD को प्रभावी रूप से मैनेज किया जा सकता है। इलाज में व्यवहारिक थेरेपी, काउंसलिंग, पेरेंट ट्रेनिंग, स्कूल सपोर्ट और ज़रूरत पड़ने पर दवाएं शामिल होती हैं।
नियमित दिनचर्या, छोटे-छोटे लक्ष्य तय करना, स्क्रीन टाइम सीमित करना और सकारात्मक प्रोत्साहन ADHD से जूझ रहे बच्चों और वयस्कों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में मदद करता है। समय पर पहचान और सही मार्गदर्शन से ADHD बाधा नहीं, बल्कि संभाली जा सकने वाली स्थिति बन सकती है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि माता-पिता और शिक्षकों को ADHD के लक्षणों को समझना चाहिए और बच्चों को सही मार्गदर्शन और सहारा देना चाहिए। समय पर उपचार और व्यवहारिक थेरापी से ADHD वाले बच्चों और वयस्कों को अपनी क्षमता के अनुसार सफल और संतुलित जीवन जीने में मदद मिलती है।