जयपुर: राजस्थान चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुदृढ़ करने और जनता को बेहतर सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए लापरवाही एवं अनियमितताओं के प्रति ज़ीरो-टॉलरेंस नीति अपनाते हुए अब तक की सबसे सख्त कार्रवाई कर रहा है। मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने इस वर्ष अभूतपूर्व कदम उठाए हैं।

राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (RMSC) ने निरीक्षण और गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहने पर वर्ष 2025 में 7 दवा कंपनियों और 40 दवाओं को प्रतिबंधित किया है। यह कॉरपोरेशन की स्थापना के बाद सबसे बड़ा कदम है।

स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि निशुल्क दवा योजना का सुचारू संचालन महत्वपूर्ण है, लेकिन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता केवल मानक-गुणवत्ता वाली दवाओं की सप्लाई सुनिश्चित करना है। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता मानकों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के तहत इस वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर प्रतिबंध लगाए गए हैं।

प्रमुख सचिव गायत्री राठौड़ ने बताया कि वर्ष 2011–12 से 2024–25 तक कुल 26 कंपनियों को ही बैन किया गया था, जबकि अकेले वित्तीय वर्ष 2025–26 में अब तक 7 फार्मा कंपनियाँ सबस्टैंडर्ड दवाएँ सप्लाई करने या सप्लाई में विफल रहने के कारण प्रतिबंधित की जा चुकी हैं। इसके अलावा, अकेले इस वर्ष 40 दवाएँ सबस्टैंडर्ड पाए जाने पर बाजार और अस्पताल सप्लाई से हटा दी गई हैं। छह मामलों में पेनल्टी भी लगाई गई है।

RMSC के प्रबंध निदेशक पुख़राज सेन ने बताया कि निगम ने घटिया दवाओं को अस्पतालों तक पहुँचने से रोकने के लिए एक मजबूत गुणवत्ता-जांच प्रणाली विकसित की है। सप्लायर्स से आने वाली दवाएँ सबसे पहले जिला दवा भंडार में क्वारंटीन की जाती हैं। प्रत्येक बैच का परीक्षण RMSC-अधिकृत प्रयोगशालाओं में किया जाता है और केवल मानकों पर खरी उतरने वाली दवाएँ ही अस्पतालों में भेजी जाती हैं। असफल बैच तुरंत रिजेक्ट कर दिए जाते हैं।

यदि कोई दवा पहली जांच में फेल होती है, तो उसे राज्य दवा परीक्षण प्रयोगशाला में पुष्टि के लिए भेजा जाता है। इसके साथ ही ड्रग कंट्रोलर भी स्वतंत्र सैंपल लेकर जांच कराता है। रिपोर्ट की पुष्टि होने पर मामला अनुशासनात्मक समिति को भेजा जाता है, जहाँ संबंधित कंपनी को नोटिस जारी कर सुनवाई का अवसर दिया जाता है। इसके बाद दिशानिर्देशों के अनुसार प्रतिबंध या दंड तय किया जाता है।

वर्ष 2025 में पाँच कंपनियों को पाँच वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया गया है, जिनमें शामिल हैं—

• Arien Healthcare – Ciprofloxacin, Dexamethasone Eye/Ear Drops

• Agron Remedies Pvt. Ltd – Cefuroxime Axetil Tablets, Tobramycin Eye Drops

• Effi Parenterals – Calcium & Vitamin D3 Tablets

• Jpee Drugs – Calcium & Vitamin D3 Suspension

• Sai Parenterals Ltd – Heparin Sodium Injection

इसके अलावा दो कंपनियों—Biogenetic Drugs Pvt. Ltd और Smilex Healthcare Drug Company—को सेवा-शर्त उल्लंघन पर तीन वर्ष के लिए बैन किया गया है।

40 प्रतिबंधित दवाओं में शामिल प्रमुख दवाएँ हैं—

• Primaquine Tablets – Maxwell Life Sciences Pvt. Ltd., Scott Edil Pharmacia Ltd

• Heparin Sodium Injection, Calcium & Vitamin D3 Suspension – Yakka Pharmaceuticals Pvt. Ltd (3 वर्ष बैन)

• Fexofenadine Tablets – Santlife Pharmaceuticals Ltd

• Levetiracetam Tablets, Clopidogrel + Aspirin Tablets – Life Max Cancer Laboratories

• Calcitriol Capsules – Titanium Technologies (India) Pvt. Ltd

विभाग का कहना है कि कठोर परीक्षण, निगरानी और पारदर्शी कार्रवाई से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि राज्य में मरीजों तक केवल सुरक्षित और प्रभावी दवाएँ ही पहुँचें।

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Deshbandhu Singh is the Senior Managing Editor at Medical Dialogues and Health Dialogues with about three decades of experience in both print and digital journalism. Previously, he has held editorial leadership roles at NDTV (Head of Digital Content Strategy and Senior Executive Editor), India Today Group Digital, Hindustan Times, Times Internet, and Sahara India. He is known for his expertise in digital content strategy, newsroom operations, and the launch of leading web and mobile platforms in Indian media.