प्रिमेच्योरिटी को समझें: हर माँ के लिए ज़रूरी बातें - डॉ. मंजुनाथ जी

अधिकतर गर्भवती महिलाओं के लिए नौ महीने की प्रेग्नेंसी उत्साह, ढेरों कल्पनाओं और थोड़ी चिंता से भरा समय होता है। लेकिन कई बार बच्चे तय समय से पहले ही दुनिया में आने का फैसला कर लेते हैं। जब बच्चा 37 हफ्ते से पहले पैदा होता है, तो इसे प्रीटर्म बर्थ या प्रीमैच्योर बेबी कहा जाता है। “प्रीमैच्योर” शब्द सुनकर डर लग सकता है, लेकिन अगर माँ को कुछ बुनियादी जानकारी हो, तो वह स्थिति का सामना करने के लिए अधिक तैयार और आत्मविश्वासी रहती है।
बच्चे समय से पहले क्यों जन्म लेते हैं?
बच्चे के जल्दी जन्म लेने के पीछे एक ही कारण नहीं होता, बल्कि कई कारण एक साथ काम करते हैं। कई बार तो बिना किसी चेतावनी के ही बच्चा अचानक पैदा हो जाता है। कुछ स्थितियाँ जो प्रीटर्म डिलीवरी की संभावना बढ़ाती हैं:
- माँ को हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉयड की समस्या, डायबिटीज या संक्रमण होना
- जुड़वाँ या एक से अधिक बच्चों की गर्भावस्था
- लाइफस्टाइल से जुड़े कारण—जैसे धूम्रपान, असंतुलित खानपान, या ज्यादा तनाव
इन कारणों को पहचानने से माँ समय रहते सावधानी रख सकती है।
कैसे पहचानें कि लेबर जल्दी शुरू हो रहा है?
माँ का शरीर संकेत देता रहता है। कुछ लक्षण जो जल्दी लेबर की शुरुआत बता सकते हैं:
- लगातार कमर दर्द
- पेट में कसाव या पीरियड जैसे दर्द
- पानी जैसा तरल बहना
- हल्की ब्लीडिंग
- निचले पेट में भारीपन महसूस होना
अक्सर महिलाएँ इन संकेतों को “सामान्य गर्भावस्था की तकलीफ” मानकर नजरअंदाज कर देती हैं। लेकिन अगर समय रहते डॉक्टर को बताया जाए, तो कई बार लेबर रोका जा सकता है या ऐसे इंजेक्शन दिए जा सकते हैं जो बच्चे के फेफड़ों का विकास तेज करते हैं।
प्रीटर्म बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत क्यों होती है?
फुल-टर्म बच्चा पूरी तरह तैयार फल की तरह होता है—दुनिया में आने के लिए एकदम सही। लेकिन जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं, उन्हें बढ़ने और विकसित होने के लिए अधिक समय चाहिए। उनके फेफड़े, दिमाग, पाचन तंत्र और इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होते।
इस वजह से कई प्रीटर्म बच्चे NICU (नवजात गहन देखभाल इकाई) में रखे जाते हैं, जहाँ उनको गर्म रखा जाता है, जरूरत पड़ने पर ट्यूब से दूध दिया जाता है, और सांस व संक्रमण पर खास ध्यान दिया जाता है। भले ही NICU डरावना लगे, लेकिन यह नन्हें बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित जगह होती है।
सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अब भी माँ की रहती है
NICU में भी माँ की मौजूदगी बच्चे के लिए बहुत जरूरी होती है।
कंगारू केयर—जिसमें माँ बच्चे को अपनी छाती से लगाकर रखती है—बच्चे की धड़कन, तापमान और वजन बढ़ाने में मदद करता है।
माँ का दूध भी बहुत लाभकारी होता है। थोड़ी-सी मात्रा (जिसे कोलोस्ट्रम कहा जाता है) भी बच्चे को संक्रमण से लड़ने की ताकत देती है। अगर बच्चा सीधे दूध नहीं पी सकता, तो माँ अपना दूध निकालकर नर्सें ट्यूब से बच्चे को दे सकती हैं।
क्या प्रीमैच्योर जन्म को रोका जा सकता है?
हर केस को रोक पाना संभव नहीं, लेकिन अच्छी प्रेग्नेंसी केयर से कई जोखिम कम किए जा सकते हैं:
- समय-समय पर डॉक्टर से जांच
- थायरॉयड, डायबिटीज या हाई BP को नियंत्रित रखना
- पौष्टिक भोजन और पर्याप्त पानी
- आयरन और फोलिक एसिड लेना
- शराब, धूम्रपान से दूर रहना
अगर किसी महिला की पहले भी प्रीटर्म डिलीवरी हुई है, तो उसे शुरुआत से ही डॉक्टर को बताना चाहिए ताकि उसे अतिरिक्त देखभाल मिल सके।
निष्कर्ष
प्रीमैच्योर जन्म डराने वाला लग सकता है, लेकिन सही जानकारी और समय पर कदम उठाने से माँ अपने बच्चे को सुरक्षित शुरुआत दे सकती है—चाहे वह दुनिया में थोड़ा पहले ही क्यों न आ जाए।
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