एक बड़े नए अध्ययन में पाया गया है कि रोज़ाना सोशल मीडिया का इस्तेमाल बच्चों की ध्यान लगाने की क्षमता को काफी हद तक कम कर सकता है — और यह ध्यान से जुड़ी समस्याओं (ADHD जैसे लक्षण) में बढ़ोतरी का कारण भी बन सकता है।

यह शोध स्वीडन के Karolinska Institutet और अमेरिका के Oregon Health & Science University ने मिलकर किया। इसमें 9 से 14 साल के 8,300 से ज़्यादा बच्चों को कई वर्षों तक फॉलो किया गया। बच्चों ने बताया कि वे रोज़ कितने घंटे सोशल मीडिया, वीडियो गेम या टीवी देखते हैं, और मनोवैज्ञानिकों ने यह देखा कि उनका ध्यान कितनी देर तक टिकता है और कितना भटकता है।

अध्ययन में पाया गया कि —
केवल सोशल मीडिया ही ध्यान भटकने से लगातार जुड़ा हुआ था, टीवी या वीडियो गेम का ऐसा असर नहीं दिखा

* औसतन बच्चे रोज़ लगभग 1.4 घंटे सोशल मीडिया पर रहते थे।

* 9 साल की उम्र में यह सिर्फ लगभग 30 मिनट था, लेकिन 13 साल की उम्र तक बढ़कर 2.5 घंटे प्रतिदिन हो गया।

क्यों सोशल मीडिया पर ध्यान जल्दी टूटता है?

शोधकर्ता बताते हैं कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इस तरह बनाए जाते हैं कि लोग बार-बार देखें:

* लगातार नोटिफिकेशन

* नए-नए मैसेज

* लगातार बदलती फीड

* “कुछ मिस न हो जाए” वाली बेचैनी

कई बार केवल यह सोच कि “शायद कोई मैसेज आया होगा” ही बच्चे का ध्यान भटका देती है।इससे बच्चे पढ़ाई, होमवर्क या किसी भी काम पर लंबे समय तक ध्यान नहीं लगा पाते।

Karolinska Institutet के प्रोफेसर टॉर्केल क्लिंगबर्ग कहते हैं: “अध्ययन साफ दिखाता है कि खास तौर पर सोशल मीडिया ही बच्चों की एकाग्रता पर असर डालता है।”

एक बच्चे पर असर छोटा, लेकिन समाज पर बहुत बड़ा

हर बच्चा गंभीर समस्या नहीं दिखाता, लेकिन जब लाखों बच्चे रोज़ सोशल मीडिया इस्तेमाल करें, तो थोड़ी-सी भी दिक्कत मिलकर बड़ी समस्या बन जाती है। इससे दुनिया भर में बढ़ रहे ADHD जैसे लक्षणों को समझने में मदद मिलती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह ट्रेंड बच्चों की पढ़ाई, व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य पर लंबे समय तक असर डाल सकता है।

माता-पिता और सरकार को क्या करना चाहिए?

विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि अब कड़े कदम उठाने की ज़रूरत है:

* सोशल मीडिया पर उम्र की सही जांच (age verification)

* बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम पर सीमा

* माता-पिता की सख़्त निगरानी

* बच्चों को सही डिजिटल आदतें सिखाना

कई बच्चे 13 साल से पहले ही Instagram और YouTube इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं, जिससे उनके दिमाग के विकास पर असर पड़ सकता है। यह अध्ययन साफ कहता है कि बच्चों की सोशल मीडिया आदतों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। अगर हम उनका स्क्रीन टाइम कम करें, सही डिजिटल व्यवहार सिखाएँ और स्वस्थ आदतें

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यह अध्ययन साफ कहता है कि बच्चों की सोशल मीडिया आदतों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है।
Khushi Chittoria
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Khushi Chittoria joined Medical Dialogues in 2025 as a Media and Editorial Intern. She holds a degree in Bachelor of Arts in Journalism and Mass Communication from IP University and has completed certifications in content writing. She has a strong interest in anchoring, content writing, and editing. At Medical Dialogues, Khushi works in the editorial department, web stories and anchoring.