नई दिल्ली: दुर्लभ लिवर रोग प्राइमरी स्क्लेरोसिंग कोलेंजाइटिस (पीएससी) से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। एक नई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवा 'नेबोकिटुग' ने हाल ही में हुए क्लिनिकल ट्रायल में सुरक्षित होने के साथ-साथ प्रभावी नतीजे दिखाए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार यह खोज ऐसे समय में आई है, जब इस बीमारी के लिए लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई ठोस इलाज उपलब्ध नहीं था।

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया-डेविस की टीम ने नेबोकिटग नाम की एक एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-फाइब्रोटिक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का टेस्ट किया और पाया कि यह पीएससी के मरीजों के लिए सुरक्षित और असरदार है।

अमेरिकन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी में पब्लिश हुए इन नतीजों से पीएससी के मरीजों के लिए अच्छी खबर मिली है, जिनके लिए फिलहाल लिवर ट्रांसप्लांट के अलावा कोई असरदार इलाज नहीं है।

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक यह दवा फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल में परखी गई, जिसमें पांच देशों के मरीज शामिल थे। अध्ययन के नतीजों में पाया गया कि नेबोकिटुग से लिवर में होने वाली सूजन और फाइब्रोसिस (लिवर ऊतकों में जख्म जैसी स्थिति) को कम करने में मदद मिली। इलाज के बाद मरीजों के लिवर फंक्शन से जुड़े संकेतकों में सुधार देखा गया, जिससे बीमारी की रफ्तार धीमी पड़ती नजर आई।

यूसी डेविस हेल्थ में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी के प्रमुख क्रिस्टोफर बाउलस ने कहा, "ट्रायल में, नेबोकिटग ने दिखाया कि इसमें फाइब्रोसिस और सूजन को कम करके पीएससी के मरीजों की जिंदगी बदलने की क्षमता है, जिससे बेहतर नतीजे मिलने चाहिए।"

"ये नतीजे पीएससी के मरीजों के लिए अच्छी खबर हैं, जिन्हें एक असरदार, एफडीए-अप्रूव्ड थेरेपी की सख्त जरूरत है।"

पीएससी एक दुर्लभ लिवर रोग है जो पित्त नलिकाओं में सूजन और निशान का कारण बनता है। ये नलिकाएं लिवर से छोटी आंत तक पित्त ले जाती हैं ताकि फैट को पचाने में मदद मिल सके। जब ये खराब हो जाती हैं और सिकुड़ जाती हैं, तो लिवर में पित्त जमा हो जाता है, जिससे समय के साथ लिवर को नुकसान होता है।

पीएससी का सटीक कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है, लेकिन ज्यादातर मरीजों को इन्फ्लेमेटरी बाउल डिजीज भी होती है, जो आंतों की सूजन और लिवर के बीच सीधे संबंध को दर्शाती है।

लक्षणों में थकान, खुजली और पीलिया शामिल हो सकते हैं, हालांकि कुछ लोगों में शुरू में कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसका कोई इलाज नहीं है और गंभीर मामलों में, लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ सकती है।

नेबोकिटग एक लैब में बनाई गई एंटीबॉडी है जिसे सीसीएल24 नामक प्रोटीन को ब्लॉक करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह प्रोटीन लिवर में कुछ इन्फ्लेमेटरी कोशिकाओं के संपर्क में आकर सूजन और घाव के निशान छोड़ देता है।

पीएससी में, सीसीएल24 का लेवल सामान्य से ज्यादा होता है और यह पित्त नलिकाओं के आसपास पाया जाता है, जहां यह लिवर को नुकसान पहुंचाने में योगदान देता है। स्टडीज से पता चला है कि सीसीएल24 को ब्लॉक करने से इन हानिकारक प्रक्रियाओं को कम किया जा सकता है।

सुरक्षा के लिहाज से भी दवा को उत्साहजनक बताया गया है। ट्रायल के दौरान किसी भी मरीज में गंभीर साइड इफेक्ट दर्ज नहीं किए गए। कुछ मरीजों में हल्का बुखार या इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द जैसी मामूली समस्याएं सामने आईं, जो थोड़े समय में अपने-आप ठीक हो गईं। डॉक्टरों का कहना है कि यह संकेत देता है कि दवा को आगे के बड़े परीक्षणों में भी आजमाया जा सकता है।

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गंभीर लिवर रोग के इलाज में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी से सकारात्मक नतीजे, नई उम्मीद जगाई।
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Deshbandhu Singh is the Senior Managing Editor at Medical Dialogues and Health Dialogues with about three decades of experience in both print and digital journalism. Previously, he has held editorial leadership roles at NDTV (Head of Digital Content Strategy and Senior Executive Editor), India Today Group Digital, Hindustan Times, Times Internet, and Sahara India. He is known for his expertise in digital content strategy, newsroom operations, and the launch of leading web and mobile platforms in Indian media.