जीवन की भागदौड़, प्रतिस्पर्धा और अपेक्षाओं का बोझ हमारे मनोभावों को लगातार प्रभावित करता रहता है। जब आपसी सहयोग और समन्वय की कमी होती है, तो यही मानसिक थकावट धीरे-धीरे तनाव का रूप ले लेती है। अत्यधिक और निरंतर तनाव न केवल मन को, बल्कि शरीर को भी गहराई से प्रभावित करता है।

तनाव का हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव हृदय और रक्त संचार प्रणाली पर देखा जाता है। जब व्यक्ति तनाव में होता है, तो मस्तिष्क खतरे का संकेत भेजता है और शरीर में कॉर्टिसोल तथा एड्रेनालिन जैसे हार्मोन का स्राव बढ़ जाता है। ये हार्मोन शरीर को फाइट या फ्लाइट प्रतिक्रिया के लिए तैयार करते हैं।

यदि यह अवस्था लंबे समय तक बनी रहे, तो रक्तचाप बढ़ना, हृदय की अनियमित धड़कनें और रक्त वाहिकाओं का संकुचन जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। यह स्थिति हृदय रोग, स्ट्रोक या हृदयाघात के जोखिम को बढ़ा सकती है। शोध बताते हैं कि निरंतर मानसिक तनाव से ग्रसित लोगों में हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना सामान्य व्यक्तियों की तुलना में लगभग दोगुनी होती है।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी तनाव के गहरे असर पड़ते हैं। लंबे समय तक तनाव बने रहने से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर के स्तर में असंतुलन आता है, जिससे व्यक्ति का मन उदास, अस्थिर और चिंतित रहने लगता है।

मस्तिष्क के हिप्पोकैम्पस और प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स हिस्से, जो स्मृति, निर्णय और ध्यान नियंत्रण के लिए ज़िम्मेदार होते हैं, तनाव के प्रभाव से कमजोर पड़ने लगते हैं। परिणामस्वरूप कार्यक्षमता में कमी, ध्यान की कमी और मानसिक थकावट बढ़ती है। कई बार यह शारीरिक रूप से भी प्रकट होता है, जैसे मांसपेशियों में खिंचाव, सिरदर्द या माइग्रेन।

तनाव व्यक्ति के सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। लगातार तनावग्रस्त व्यक्ति अपने परिवार या मित्रों से दूरी बना सकता है, रिश्तों में खटास और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है। यह सामाजिक अलगाव और अवसाद को जन्म देता है। साथ ही, तनाव खानपान, नींद और व्यायाम की दिनचर्या को भी बिगाड़ देता है, जिससे अत्यधिक थकान और नींद में बाधा जैसी शिकायतें आने लगती हैं।

तनाव से निपटने के लिए जीवनशैली में कुछ सरल बदलाव प्रभावी साबित हो सकते हैं। माइंडफुलनेस, योग, ध्यान और सुबह की सैर जैसी गतिविधियाँ शरीर में तनाव से जुड़े हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। पर्याप्त नींद लेना, संतुलित आहार अपनाना और जंक फूड से परहेज़ करना आवश्यक है।

कार्यस्थल पर सहयोगियों के प्रति कृतज्ञता और सहयोग का भाव रखना तथा परिवार के साथ समय बिताना मानसिक संतुलन को मज़बूत करता है। संगीत, लेखन, चित्रकला या बागवानी जैसी रचनात्मक गतिविधियाँ मन को शांत रखती हैं और सकारात्मक ऊर्जा देती हैं। यदि तनाव बहुत अधिक महसूस हो, तो समय रहते अपने साइकिएट्रिस्ट से परामर्श अवश्य लें।

जीवन में तनाव को पूरी तरह खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन इसे समझकर और सही ढंग से प्रबंधित करके मन और शरीर दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है। यही संतुलन सुखी और स्वस्थ जीवन की वास्तविक कुंजी है।

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Dr Sameer Bhargawa
Dr Sameer Bhargawa

Dr Sameer Bhargava, Consultant Psychiatrist at Fortis Hospital, Faridabad, has over 8 years of experience in mental health care. He specialises in addiction, sleep disorders, child and geriatric psychiatry, offering compassionate, evidence-based treatment for holistic emotional well-being.