जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेज़ी से उभरने के दौरान 2023 में ‘चैटबॉट थेरेपिस्ट’ को लेकर लोगों की सोच में बड़ा बदलाव आया। कर्टिन यूनिवर्सिटी के एक नए अध्ययन के अनुसार, यही बदलाव अब एक अधिक सुरक्षित वेलबीइंग चैटबॉट ‘मोंटी’ (Monti) के पुनर्विकास की आधारशिला बना है।

ChatGPT के आने से पहले और बाद में जुटाए गए आंकड़ों से पता चला कि लोगों का रुझान जनरेटिव-AI चैटबॉट्स की ओर तेजी से बढ़ा। उपयोगकर्ताओं ने इनकी स्वाभाविक बातचीत शैली और समझने की क्षमता को सराहा। इसके चलते पुराने ‘रूल-बेस्ड’ चैटबॉट्स लोगों को दोहराव वाले और कम समझदार लगने लगे।

यह शोध अब कर्टिन के अगली पीढ़ी के वेलबीइंग चैटबॉट मोंटी के पुनर्विकास का मार्गदर्शन कर रहा है, जिसे उपभोक्ताओं के साथ मिलकर डिज़ाइन किया गया है ताकि सुरक्षित और आत्म-चिंतन आधारित भावनात्मक समझ को बढ़ावा दिया जा सके।

शोध टीम के प्रमुख और कर्टिन स्कूल ऑफ पॉपुलेशन हेल्थ के मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेसर वॉरेन मैन्सेल ने कहा कि 2023 AI-समर्थित वेलबीइंग टूल्स को लेकर जन-समझ में एक निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

उन्होंने कहा, “जब जनरेटिव AI रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बना, तो लोगों ने चैटबॉट ‘थेरेपिस्ट’ को केवल एक दिखावा नहीं, बल्कि आत्म-चिंतन के लिए संभावित रूप से विश्वसनीय साधन के रूप में देखना शुरू किया।”

उन्होंने यह भी जोड़ा, “मानसिक स्वास्थ्य सहायता की मांग आपूर्ति से लगातार अधिक है। ऐसे में जिम्मेदारी से बनाए गए AI टूल्स इस अंतर को पाटने में मदद कर सकते हैं—लेकिन तभी, जब उन्हें सावधानी, प्रमाण और विनम्रता के साथ डिज़ाइन किया जाए।”

अध्ययन के दौरान किए गए इंटरव्यू से पता चला कि उपयोगकर्ताओं को जिज्ञासापूर्ण सवालों की शैली पसंद आई, जिससे वे अपने लक्ष्यों, समस्याओं को समझ सकें और नए दृष्टिकोण विकसित कर सकें। यह तरीका उस वैज्ञानिक सिद्धांत से मेल खाता है, जिस पर कर्टिन शोध टीम का काम आधारित है—परसेप्चुअल कंट्रोल थ्योरी (PCT)

मोंटी का मार्गदर्शक मंत्र—‘अधिक ध्यान दें, और गहराई से खोजें, समझदारी से सोचें’—यह दर्शाता है कि यह टूल मानव रिश्तों का विकल्प नहीं, बल्कि जिज्ञासा और स्पष्टता का उत्प्रेरक है।

शोधकर्ताओं ने ज़ोर देकर कहा कि जिम्मेदार नवाचार के लिए प्रमाण-आधारित डिज़ाइन, पारदर्शिता, सुरक्षा निगरानी और उपयोगकर्ताओं की ज़रूरतों की स्पष्ट समझ आवश्यक है। यही सिद्धांत मोंटी के अगले विकास चरण को दिशा दे रहे हैं। शोध टीम का लक्ष्य है कि इसे मध्य-2026 से ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में उपलब्ध कराया जाए।

कर्टिन अध्ययन के अनुसार, अच्छी तरह डिज़ाइन किए गए AI चैटबॉट्स सार्थक भूमिका निभा सकते हैं—लोगों को आत्म-मंथन, अपनी चिंताओं को स्पष्ट करने और ज़रूरत पड़ने पर मानवीय सहायता लेने के लिए सशक्त बना सकते हैं।

यह अध्ययन JMIR Formative Research में प्रकाशित हुआ है। लेख का शीर्षक है: ‘A Rule-Based Conversational Agent for Mental Health and Well-Being in Young People: Formative Case Series During the Rise of Generative AI’

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कर्टिन विश्वविद्यालय के अध्ययन में सामने आया कि मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए लोग अब AI चैटबॉट थेरेपिस्ट पर तेजी से भरोसा कर रहे हैं।
Stuti Tiwari
Stuti Tiwari

Stuti Tiwari joined Medical Dialogues in 2025 as a Hindi Content Writing Intern. She is currently pursuing a Bachelor’s degree in Journalism from the University of Delhi. With a strong interest in health journalism, digital media, and storytelling, Stuti focuses on writing, editing, and curating Hindi health content. She works on producing informative, engaging, and accurate articles to make healthcare news and updates more understandable and relatable for Hindi-speaking audiences.