रोज़ कॉफी पीना गंभीर मानसिक बीमारी वाले लोगों में बढ़ती उम्र की रफ्तार को धीमा कर सकता है

दिन में ज़्यादा से ज़्यादा 3–4 कप कॉफी पीना गंभीर मानसिक बीमारियों से जूझ रहे लोगों में जैविक उम्र बढ़ने (biological ageing) की रफ्तार को धीमा कर सकता है। रिसर्च में पाया गया कि ऐसा करने से शरीर की कोशिकाओं के टेलोमीयर (जो उम्र बढ़ने के संकेतक होते हैं) थोड़े लंबे रहते हैं। इससे इन लोगों की जैविक उम्र लगभग 5 साल कम दिख सकती है, उनकी तुलना में जो कॉफी नहीं पीते। यह शोध BMJ Mental Health जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
लेकिन रिसर्च में यह भी पाया गया कि 4 कप से ज़्यादा कॉफी पीने पर ऐसा फायदा नहीं होता। यही मात्रा कई अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थाओं—जैसे NHS और US FDA—द्वारा भी अधिकतम सुरक्षित बताई जाती है।
टेलोमीयर क्या होते हैं?
टेलोमीयर हमारे क्रोमोसोम (जीन) के सिरों पर होते हैं, जैसे जूते की लेस के सिरों पर प्लास्टिक कैप। उम्र बढ़ने के साथ ये छोटे होते जाते हैं। लेकिन स्किज़ोफ्रेनिया, बाइपोलर डिसऑर्डर और साइकोसिस जैसी मानसिक बीमारियों वाले लोगों में यह प्रक्रिया तेज़ हो सकती है।
टेलोमीयर पर माहौल और खान-पान का असर पड़ता है। मध्यम मात्रा में कॉफी पीने को पहले भी कई स्वास्थ्य फायदे से जोड़ा गया है। इसी वजह से रिसर्चर्स ने जांच की कि कॉफी ऐसे मरीजों में टेलोमीयर की गति पर असर डालती है या नहीं।
इस अध्ययन में नॉर्वे के 436 वयस्क शामिल थे—259 को स्किज़ोफ्रेनिया था और बाकी 177 को बाइपोलर या गंभीर डिप्रेशन जैसी बीमारियाँ।
लोगों से पूछा गया कि वे रोज़ कितनी कॉफी पीते हैं—0 कप, 1–2 कप, 3–4 कप या 5 से ज़्यादा। यह भी पूछा गया कि वे धूम्रपान करते हैं या नहीं।
5 या उससे ज़्यादा कप कॉफी पीने वाले लोग बाकी लोगों से उम्र में बड़े थे। स्किज़ोफ्रेनिया वाले लोग बाइपोलर/डिप्रेशन वाले लोगों की तुलना में ज़्यादा कॉफी पीते पाए गए।
कुल 77% प्रतिभागी धूम्रपान करते थे। धूम्रपान करने वालों के शरीर में कैफीन जल्दी टूटता है, इसलिए वे ज़्यादा कॉफी पीते थे।
ब्लड सैंपल में टेलोमीयर की लंबाई मापी गई और चारों ग्रुप में बड़ा अंतर मिला। एक J-शेप पैटर्न दिखा—मतलब:
0 कप: टेलोमीयर छोटे
1–2 कप: थोड़ा बेहतर
3–4 कप: सबसे अच्छे
5+ कप: फायदा गायब
जो लोग रोज़ 3–4 कप कॉफी पी रहे थे, उनके टेलोमीयर की लंबाई उन लोगों जैसी थी जिनकी जैविक उम्र उनसे 5 साल कम होती।
यह एक ऑब्ज़र्वेशनल स्टडी है, यानी इससे यह नहीं कहा जा सकता कि कॉफी सीधे ऐसा करती ही है। रिसर्चर्स ने यह भी माना कि उनके पास कॉफी के प्रकार, किस समय पी गई थी, कैफीन की असली मात्रा आदि की जानकारी नहीं थी।
लेकिन कॉफी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी कंपाउंड ऐसे प्रभाव दे सकते हैं—यह एक संभावित वैज्ञानिक कारण हो सकता है।
कॉफी दुनिया भर में बहुत लोकप्रिय है—सिर्फ 2021–22 में ही 10.56 अरब किलो कॉफी पी गई।
फिर भी शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि बहुत ज्यादा कॉफी शरीर को नुकसान पहुँचाकर टेलोमीयर को छोटा भी कर सकती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों की सलाह है कि कैफीन 400 mg/दिन (लगभग 4 कप कॉफी) से ज़्यादा न लें।


