मोटापा अब एक ‘क्रॉनिक’ बीमारी, WHO ने GLP-1 दवाओं को वयस्कों में मोटापे के इलाज के लिए पहली वैश्विक गाइडलाइन जारी की

डब्ल्यूएचओ ने सेमाग्लूटाइड, लिराग्लूटाइड और टिर्जेपाटाइड जैसी GLP-1 दवाओं को वयस्क मोटापे (obesity) में दीर्घकालीन उपयोग के लिए सीमित रूप से मंज़ूर किया है। लेकिन यह स्पष्ट किया है कि दवाओं के साथ ही स्वस्थ आहार, व्यायाम और नियमित देखभाल ज़रूरी है।
Story 1 दिसंबर 2025 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पहली बार वयस्कों में मोटापा कम करने के लिए GLP-1 दवाओं के इस्तेमाल पर एक पूरी गाइडलाइन जारी की। इस गाइडलाइन का मतलब यह है कि मोटापा अब सिर्फ “ज़्यादा खाने” या “कम चलने-फिरने” की आदत नहीं माना जाएगा, बल्कि एक ऐसी बीमारी समझी जाएगी, जिसे लंबे समय तक इलाज और लगातार देखभाल की ज़रूरत होती है।
GLP-1 दवाएं क्या हैं? GLP-1 रीसप्टर एगोनिस्ट दवाएं — जैसे semaglutide, liraglutide और tirzepatide — शुरुआत में टाइप-2 डायबिटीज़ के इलाज के लिए बनाई गई थीं। ये दवाएं भूख कम करती हैं, पेट जल्दी खाली नहीं होने देतीं, और खाने की इच्छा घटाती हैं — जिससे वज़न घटाने में मदद मिलती है। समय के साथ रिसर्च में यह दिखाया गया है कि ये दवाएं दिल, गुर्दे और अन्य मेटाबॉलिक समस्याओं के जोखिम को भी कम कर सकती हैं।
डब्ल्यूएचओ की मुख्य सिफारिशें
* GLP-1 दवाओं को वयस्कों में (गर्भवती महिलाओं को छोड़कर) मोटापे के दीर्घकालीन इलाज के लिए उपयोग किया जा सकता है। WHO का कहना है कि GLP-1 दवाएं वयस्क लोगों में मोटापे के लंबे इलाज में मदद कर सकती हैं। लेकिन यह सिफारिश इसलिए “शर्तों के साथ” है क्योंकि लंबी अवधि की सुरक्षा, दवा बंद करने के बाद असर, दवा की लागत, उपलब्धता और स्वास्थ्य प्रणालियों की तैयारी के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है।
* लेकिन दवाएं अकेली पर्याप्त नहीं — उन्हें “इंटेंसिव बिहेवियरल इंटरवेंशन” के साथ लिया जाना चाहिए: यानी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और चिकित्सा + काउंसलिंग सपोर्ट।
WHO ने कहा है कि GLP-1 दवाएं तभी बेहतर काम करती हैं जब मरीज को साथ में इंटेंसिव लाइफस्टाइल प्रोग्राम — यानी सही खाना, नियमित व्यायाम और काउंसलिंग — भी दिया जाए। शुरुआती रिसर्च बताती है कि दवा + लाइफस्टाइल मिलकर ज्यादा अच्छे नतीजे देते हैं।
महत्त्व — क्यों यह गाइडलाइन ज़रूरी है? आज दुनिया में एक अरब से ज़्यादा लोग मोटापे से प्रभावित हैं। मोटापा टाइप-2 डायबिटीज़, दिल की बीमारी, गुर्दा की बीमारी और अन्य गंभीर मेटाबॉलिक रोगों के लिए एक बड़ा जोखिम है। GLP-1 थेरेपीज़ की स्वीकृति से स्वास्थ्य प्रणाली को एक नया, प्रमाण-आधारित उपकरण मिला है, जिससे ऐसे रोगियों के लिए बेहतर देखभाल की दिशा खुली है।
चेतावनियाँ और चुनौतियाँ: जादू की गोली नहीं WHO ने अपनी सिफारिश “conditional” यानी शर्तों के साथ दी है — क्योंकि दवाओं के दीर्घकालीन असर, लागत, और स्वास्थ्य प्रणालाओं की तैयारी पर अभी पूरी जानकारी नहीं है।
इसके अलावा, दवाओं का गलत या अवैध इस्तेमाल — जैसे बिना डॉक्टर की सलाह के — खतरनाक हो सकता है। WHO जोर देती है कि GLP-1 दवाएं केवल योग्य स्वास्थ्य पेशेवर द्वारा निर्देशित होनी चाहिए, और मरीजों की नियमित निगरानी होनी चाहिए।
मोटापे से लड़ने के लिए एक बड़ा कदम WHO की यह गाइडलाइन मोटापे को सिर्फ “वजन बढ़ना” नहीं, बल्कि एक ऐसी हालत मानती है जिसे पूरी तरह संभालने के लिए कई चीज़ों की ज़रूरत होती है। इसका मक़सद दुनिया भर में ऐसा सिस्टम बनाना है जहाँ लोगों को दवा के साथ-साथ सही खाना, रोज़ थोड़ा-बहुत व्यायाम, नियमित डॉक्टर की सलाह और लगातार देखभाल — सब कुछ एक ही जगह मिल सके।
इस नए तरीके का मतलब है कि मोटापा रातों-रात ठीक नहीं होता। इसे एक लंबी बीमारी मानकर धीरे-धीरे और सही तरह से इलाज और देखभाल करनी होती है। WHO कहता है कि दवा, डाइट और लाइफस्टाइल — तीनों चीज़ें मिलकर ही असर दिखाती हैं।


