एक ऐतिहासिक उपलब्धि में, दुनिया में पहली बार एक ऐसे बच्चे को बिल्कुल उसके जीन में मौजूद गलती के अनुसार बनाई गई पर्सनलाइज्ड CRISPR बेस-एडिटिंग थेरेपी दी गई है।

यह बच्चा, KJ, एक बहुत ही दुर्लभ और जानलेवा बीमारी CPS1 डिफिशियेंसी से पीड़ित था। यह थेरेपी अमेरिका के Children’s Hospital of Philadelphia (CHOP) और Penn Medicine के वैज्ञानिकों ने मिलकर विकसित की। यह “N-of-1” थेरेपी का उदाहरण है—जिसमें इलाज सिर्फ एक मरीज के लिए डिजाइन किया जाता है।

CPS1 डिफिशियेंसी क्या है?

यह एक मेटाबॉलिक बीमारी है जिसमें शरीर अमोनिया को यूरिया में बदल नहीं पाता। इससे अमोनिया खून में जमा होकर दिमाग को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और कई बार मौत भी हो सकती है। सबसे गंभीर रूप वाले नवजात बच्चों में लगभग 50% शिशु बच नहीं पाते। जो बच्चे बच भी जाते हैं, उनमें अक्सर गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याएं होती हैं और अब तक लीवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र इलाज था।

KJ की बीमारी जन्म के कुछ दिनों बाद ही पता चल गई। जीन टेस्टिंग में उसके जीन में एक विशेष गलती मिली। वह ट्रांसप्लांट के लिए भी बहुत छोटा था, इसलिए डॉक्टरों को जल्दी से नया रास्ता खोजना पड़ा।

सिर्फ छह महीनों में इलाज तैयार

चौंकाने वाली बात यह है कि डॉक्टरों और वैज्ञानिकों ने सिर्फ छह महीने में उसके लिए खास CRISPR बेस-एडिटिंग थेरेपी डिजाइन की, उसे टेस्ट किया, तैयार किया और नियामक मंजूरी भी ले ली।

इस जीन-एडिटिंग दवा को लिपिड नैनोपार्टिकल्स (LNPs) की मदद से लीवर तक पहुंचाया गया। फरवरी 2025 में, जब KJ लगभग सात महीने का था, उसे पहला डोज दिया गया। मार्च और अप्रैल में उसे अतिरिक्त डोज भी मिले।

शानदार शुरुआती परिणाम

रिपोर्टों के अनुसार, KJ ने सभी डोज बिना किसी गंभीर साइड इफेक्ट के सहन कर लिए। पहले डोज के बाद सात हफ्तों के भीतर वह ज्यादा प्रोटीन खा सका और उसकी दवाओं की मात्रा भी कम करनी पड़ी। सबसे बड़ी बात — वायरल बीमारी के दौरान भी उसकी अमोनिया लेवल खतरनाक रूप से नहीं बढ़ी, जबकि पहले ऐसी स्थिति बहुत जोखिम भरी होती थी।

2025 के बीच में, KJ अस्पताल से छुट्टी पा चुका था और डॉक्टरों के अनुसार वह “बेहद अच्छा” कर रहा था। वह वे विकासात्मक पड़ाव भी हासिल कर रहा था जिन्हें इस बीमारी में असंभव माना जाता है।

दुर्लभ बीमारियों के इलाज में नई उम्मीद

अब तक जीन थेरेपी आम तौर पर उन बीमारियों के लिए बनाई जाती थी, जिनमें कई मरीज होते हैं। लेकिन हजारों जेनेटिक बीमारियाँ ऐसी हैं जो बेहद दुर्लभ हैं—और हर मरीज में जीन से जुड़ी परेशानी अलग होती है।

KJ के इलाज ने पहली बार दिखाया है कि आधुनिक CRISPR तकनीक और तेज़ रिसर्च प्रोसेस की मदद से किसी एक बच्चे की ज़रूरत के हिसाब से बिल्कुल खास जीन थेरेपी बनाना भी संभव है। वैज्ञानिक मानते हैं कि भविष्य में यह तरीका इलाज का नया रास्ता बन सकता है, जहाँ दुर्लभ और गंभीर बीमारियों में भी हर मरीज को उसके लिए बने खास इलाज से राहत मिल सकेगी।

आगे का रास्ता उम्मीद भरा, लेकिन निगरानी जरूरी

हालाँकि नतीजे बेहद उत्साह बढ़ाने वाले हैं, डॉक्टर मानते हैं कि आने वाले समय में बच्चे की हालत पर लगातार नज़र रखनी होगी—ताकि समझा जा सके कि जीन सुधार कितने समय तक असरदार रहता है और कोई जोखिम तो नहीं।

इसके बावजूद, KJ की कहानी मेडिकल साइंस में बड़ा बदलाव दिखाती है: अब इलाज एक जैसा नहीं, बल्कि हर मरीज के लिए अलग और बिल्कुल पर्सनल हो सकता है। दुर्लभ और जानलेवा बीमारियों से जूझ रहे बच्चों के लिए यह सचमुच एक नई उम्मीद की किरण है।

Khushi Chittoria
Khushi Chittoria

Khushi Chittoria joined Medical Dialogues in 2025 as a Media and Editorial Intern. She holds a degree in Bachelor of Arts in Journalism and Mass Communication from IP University and has completed certifications in content writing. She has a strong interest in anchoring, content writing, and editing. At Medical Dialogues, Khushi works in the editorial department, web stories and anchoring.