स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाओं पर केवल उम्र के आधार पर मां बनने का दबाव डालना न तो वैज्ञानिक है और न ही मानसिक रूप से स्वस्थ। आज के दौर में चिकित्सा विज्ञान, प्रजनन तकनीक और सामाजिक परिस्थितियां पहले से कहीं अधिक बदल चुकी हैं, ऐसे में हर महिला का मातृत्व का निर्णय व्यक्तिगत होना चाहिए।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह धारणा कि एक तय उम्र के बाद महिला सुरक्षित रूप से गर्भधारण नहीं कर सकती, पूरी तरह सही नहीं है। हर महिला का शरीर, हार्मोनल स्थिति, जीवनशैली और स्वास्थ्य अलग होता है। कई महिलाएं 30 या 35 के बाद भी पूरी तरह स्वस्थ गर्भावस्था का अनुभव करती हैं, जबकि कुछ को कम उम्र में भी समस्याएं हो सकती हैं।

डॉक्टरों का मानना है कि उम्र के डर से जल्दबाज़ी में लिया गया फैसला कई बार मानसिक तनाव, करियर में बाधा और रिश्तों पर दबाव पैदा करता है।

समाज और परिवार की अपेक्षाएं अक्सर महिलाओं को यह महसूस कराती हैं कि मातृत्व ही उनकी पहचान का सबसे अहम हिस्सा है, जबकि सच्चाई यह है कि हर महिला को अपने जीवन की गति और प्राथमिकताएं खुद तय करने का अधिकार है।

विशेषज्ञ क्यों देते हैं उम्र के दबाव से बचने की सलाह?

  • आज IVF, एग फ्रीजिंग और अन्य सहायक प्रजनन तकनीकों ने विकल्प बढ़ाए हैं
  • गर्भधारण की क्षमता केवल उम्र नहीं, बल्कि ओवरी रिज़र्व, हार्मोन स्तर और स्वास्थ्य पर निर्भर करती है
  • मानसिक और भावनात्मक तैयारी भी उतनी ही ज़रूरी है जितनी शारीरिक क्षमता
  • जल्दबाज़ी में लिया गया निर्णय पोस्टपार्टम डिप्रेशन और चिंता का जोखिम बढ़ा सकता है

महिलाओं को क्या ध्यान रखना चाहिए?

  • नियमित स्त्री रोग जांच और फर्टिलिटी असेसमेंट कराना
  • संतुलित आहार, व्यायाम और तनाव प्रबंधन पर ध्यान देना
  • मातृत्व को सामाजिक दबाव नहीं, बल्कि व्यक्तिगत चुनाव मानना
  • डॉक्टर से खुलकर विकल्पों पर चर्चा करना

विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि महिलाओं को “बायोलॉजिकल क्लॉक” के डर से नहीं, बल्कि सही जानकारी और मेडिकल सलाह के आधार पर निर्णय लेना चाहिए। सही समय वही होता है, जब महिला शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से खुद को तैयार महसूस करे।

कुल मिलाकर, उम्र एक कारक हो सकती है, लेकिन अकेला निर्णायक नहीं। आधुनिक चिकित्सा और बदलते सामाजिक नजरिए के बीच, महिलाओं को अपने शरीर और जीवन से जुड़े फैसलों में पूरी स्वतंत्रता और समर्थन मिलना बेहद ज़रूरी है।

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स्त्री रोग विशेषज्ञों का कहना है कि मातृत्व का निर्णय उम्र नहीं, बल्कि महिला की सेहत, इच्छा और परिस्थितियाँ तय करें।
Stuti Tiwari
Stuti Tiwari

Stuti Tiwari joined Medical Dialogues in 2025 as a Hindi Content Writing Intern. She is currently pursuing a Bachelor’s degree in Journalism from the University of Delhi. With a strong interest in health journalism, digital media, and storytelling, Stuti focuses on writing, editing, and curating Hindi health content. She works on producing informative, engaging, and accurate articles to make healthcare news and updates more understandable and relatable for Hindi-speaking audiences.