नई दिल्ली: भारत के ऐसे जिले जो जलवायु परिवर्तन के लिए अधिक संवेदनशील माने जाते हैं, वहां के बच्चों में कुपोषण का खतरा अन्य जिलों की तुलना में लगभग 25% अधिक पाया गया है। यह नई रिसर्च PLOS One जर्नल में प्रकाशित हुई है।

दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ़ इकोनॉमिक ग्रोथ के शोधकर्ताओं ने बताया कि अत्यधिक संवेदनशील जिलों में बच्चों के स्वास्थ्य लक्ष्य जैसे स्टंटिंग (बच्चों की लंबाई और उम्र के अनुपात में कमज़ोरी) और आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुँच में लगातार कमी देखने को मिलती है। “जो जिले जलवायु जोखिमों के लिए उच्च स्तर पर संवेदनशील हैं, वहां बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य परिणाम अन्य जिलों की तुलना में कमजोर रहते हैं,” शोध में कहा गया।

शोध में यह भी बताया गया कि भारत की लगभग 80% आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जो तूफान, बाढ़, हीटवेव और अन्य चरम मौसम की घटनाओं के लिए संवेदनशील हैं। इस कारण, बच्चों के शारीरिक विकास और प्रतिरक्षा प्रणाली पर गंभीर असर पड़ता है। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन केवल पर्यावरणीय समस्या नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है और कई सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) पर प्रभाव डाल सकता है।

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि संवेदनशील जिलों में विशेष स्वास्थ्य और पोषण रणनीतियों के साथ-साथ जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम लागू किए जाएँ। इसमें बच्चों के लिए नियमित पोषण निगरानी, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में सुधार और आपदा प्रबंधन के उपाय शामिल होने चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उनकी लंबी अवधि की वृद्धि और विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

इस अध्ययन के निष्कर्ष नीति निर्माताओं, स्वास्थ्य अधिकारियों और समाज के लिए चेतावनी हैं कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना केवल पर्यावरण की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि बच्चों और भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है।

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जलवायु बदलाव से प्रभावित जिलों में बच्चों में कुपोषण का खतरा बढ़ रहा है, अध्ययन ने गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उजागर किए।
Stuti Tiwari
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Stuti Tiwari joined Medical Dialogues in 2025 as a Hindi Content Writing Intern. She is currently pursuing a Bachelor’s degree in Journalism from the University of Delhi. With a strong interest in health journalism, digital media, and storytelling, Stuti focuses on writing, editing, and curating Hindi health content. She works on producing informative, engaging, and accurate articles to make healthcare news and updates more understandable and relatable for Hindi-speaking audiences.