गर्भावस्था एक जीवन बदलने वाला अनुभव है, जो उत्साह और भावनाओं से भरा होता है। लेकिन यह समय माँ और गर्भ में पल रहे शिशु—दोनों की सेहत के लिए सतर्क रहने का भी होता है। अधिकतर गर्भावस्थाएँ सामान्य रहती हैं, लेकिन कुछ चेतावनी संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें नज़रअंदाज़ करने पर माँ या बच्चे के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। समय पर पहचान और सही इलाज कई बार जीवन और मृत्यु के बीच का फर्क साबित होता है।

असामान्य ब्लीडिंग या स्पॉटिंग

गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में हल्की स्पॉटिंग कभी-कभी सामान्य हो सकती है, लेकिन ज्यादा या लंबे समय तक ब्लीडिंग होना खतरनाक हो सकता है। यह मिसकैरेज का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था के बाद के महीनों में ज्यादा खून आना प्लेसेंटा प्रीविया या प्लेसेंटल एब्रप्शन की ओर इशारा करता है। ऐसे मामलों में डॉक्टर बेड रेस्ट, दवाएँ या ज़रूरत पड़ने पर इमरजेंसी सिजेरियन भी कर सकते हैं।

पेट में तेज़ ऐंठन या दर्द

हल्का दर्द सामान्य हो सकता है, लेकिन तेज़ या लगातार दर्द को कभी नज़रअंदाज़ न करें। निचले पेट में तेज़ दर्द एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का संकेत हो सकता है, जिसमें भ्रूण गर्भाशय के बाहर (अक्सर फैलोपियन ट्यूब में) ठहर जाता है। यह एक मेडिकल इमरजेंसी है और समय पर सर्जरी ज़रूरी होती है।

लगातार उल्टी या डिहाइड्रेशन

मॉर्निंग सिकनेस आम है, लेकिन अत्यधिक उल्टी (हाइपरएमेसिस ग्रेविडेरम) से शरीर में पानी की कमी, वजन गिरना और इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन हो सकता है। ऐसे में अस्पताल में भर्ती होकर IV फ्लूइड्स और दवाओं की ज़रूरत पड़ती है।

अचानक सूजन, तेज़ सिरदर्द या धुंधली दृष्टि

हाथ, पैर या चेहरे में अचानक सूजन, सिरदर्द और आंखों से कम दिखना प्री-एक्लेम्पसिया का संकेत हो सकता है। यह हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ी गंभीर स्थिति है, जो समय पर इलाज न मिलने पर एक्लेम्पसिया और दौरे का कारण बन सकती है।

तेज़ बुखार या गंभीर संक्रमण

UTI, गर्भाशय संक्रमण या कोविड जैसे संक्रमण प्रीटर्म लेबर या बच्चे के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। समय पर एंटीबायोटिक्स/एंटीवायरल दवाएँ और कभी-कभी इमरजेंसी डिलीवरी की ज़रूरत पड़ सकती है।

समय से पहले प्रसव के संकेत

37 हफ्तों से पहले नियमित दर्द, कमर दर्द, पेल्विक प्रेशर या पानी जैसा रिसाव प्रीटर्म लेबर के लक्षण हो सकते हैं। जल्दी पहचान से स्टेरॉयड देकर बच्चे के फेफड़ों के विकास में मदद की जा सकती है।

बच्चे की हलचल कम महसूस होना

बच्चे की गतिविधि कम या बंद महसूस होना ऑक्सीजन की कमी या प्लेसेंटा की समस्या का संकेत हो सकता है। ऐसे में NST, डॉप्लर या अल्ट्रासाउंड से जांच की जाती है और ज़रूरत पड़ने पर डिलीवरी कराई जा सकती है।

दिल की धड़कन तेज़ होना, सीने में दर्द या सांस फूलना

हल्की सांस फूलना सामान्य है, लेकिन अचानक या बहुत ज़्यादा सांस फूलना हार्ट या फेफड़ों में खून के थक्के (पल्मोनरी एम्बोलिज़्म) का संकेत हो सकता है। यह स्थिति तुरंत जांच और इलाज मांगती है।

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Dr Swatee Gaggare
Dr Swatee Gaggare

Dr Swatee Gaggare is a highly experienced gynaecologist and obstetrician with 8+ years of expertise at Manipal Hospitals, Baner, Pune, specialising in high-risk pregnancies, minimally invasive surgeries, reproductive medicine, and comprehensive women’s healthcare with a patient-centric approach.