हर दिन घंटों मोबाइल चलाना अब हमारी आदत ही नहीं, ज़रूरत बन गया है। लेकिन यही फोन धीरे-धीरे शरीर और मन पर छोटे-छोटे नुकसान भी छोड़ता है, जिनका हमें समय रहते पता तक नहीं चलता।

यहां जानें स्मार्टफोन की वजह से होने वाली 8 आम स्वास्थ्य समस्याएँ।

1. गर्दन और कंधे में जकड़न — फोन की वजह से होने वाला ‘टेक नेक’

  • मोबाइल देखते समय हम अक्सर गर्दन नीचे झुकाकर बैठ जाते हैं। जब यह मुद्रा कई मिनट या घंटों तक बनी रहती है, तो गर्दन, कंधे और ऊपरी पीठ पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
  • 
धीरे-धीरे ये जकड़न, सुन्नपन या हल्का-सा खिंचाव महसूस होने लगता है, जिसे लोग आमतौर पर “टेक नेक” कहते हैं। यदि ध्यान न दिया जाए तो यह दर्द पुराना भी हो सकता है।

2. आँखों में जलन, पानी आना और धुंधलापन — स्क्रीन स्ट्रेस की शुरुआत

  • मोबाइल स्क्रीन बेहद करीब होती है, इसलिए आँखों को ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आँखें सूखने लगती हैं, जलन होती है या चीजें थोड़ी धुंधली दिख सकती हैं।
  • 
नीली रोशनी (ब्लू लाइट) नींद और आँखों की आराम क्षमता दोनों को प्रभावित करती है।
फोन पर देर तक छोटे अक्षर पढ़ना समस्या को और बढ़ाता है।

3. हाथ-कलाई का दर्द — लगातार टाइपिंग का असर

अंगूठे और उंगलियों से लगातार टाइपिंग करने से उंगलियों की मांसपेशियों पर ज़ोर पड़ता है।
खासकर एक ही हाथ से फोन पकड़े-पकड़े चैट करने की आदत से कलाई, हथेली और उंगलियों में दर्द हो सकता है।

कई बार यह दर्द ऊपर कोहनी तक भी फैल जाता है।इस स्थिति को “टेक्स्ट थंब” या “फोन हैंड” के नाम से भी जाना जाता है।

4. नींद में खलल — फोन बंद करो, नींद शुरू करो

सोने से पहले मोबाइल चलाना लगभग सभी की आदत बन चुकी है, लेकिन यह आदत आपकी नींद की सबसे बड़ी दुश्मन है। स्क्रीन की नीली रोशनी दिमाग को “अभी जागने का समय है” जैसा संकेत देती है, जिससे नींद आने में देर होती है। यह नींद को हल्का कर देती है और सुबह उठकर थकान महसूस होती है।
लंबे समय तक यह पैटर्न शरीर की प्राकृतिक “स्लीप साइकिल” को खराब कर सकता है।

5. ध्यान भटकना — मोबाइल दिमाग की ‘कंसंट्रेशन बैटरी’ खा जाता है

हर कुछ मिनट में आने वाली नोटिफिकेशन, लगातार स्क्रीन रिफ्रेश करना और सोशल मीडिया स्क्रॉल—ये सब दिमाग को कई दिशाओं में खींचते हैं। इससे ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है, चाहे पढ़ाई हो, काम हो या घर के कामकाज।थोड़े समय में ही दिमाग जल्दी थकने लगता है और किसी भी काम में गहराई से मन नहीं लगता।

6. मूड पर असर — अकेलापन, चिंता और नकारात्मकता

फोन पर लगातार वीडियो, रील्स और दूसरों की “परफेक्ट लाइफ़” देखते-देखते अपना मूड खराब होने लगता है। कई लोग ज्यादा फोन उपयोग से समाज से कटाव भी महसूस करते हैं।
धीरे-धीरे यह आदत तनाव, चिंता और उदासी का कारण बन सकती है।
ऑनलाइन दुनिया जितनी चमकीली दिखती है, असल ज़िंदगी उससे बिल्कुल अलग होती है—यही तुलना सबसे ज्यादा नुकसान करती है।

7. चलते-फिरते फोन देखना — चोट का सबसे आसान तरीका

चलते-चलते मोबाइल देखने से ध्यान भटक जाता है और कई लोग ठोकर खाकर गिर जाते हैं, सीढ़ियों से फिसल जाते हैं या सड़क पार करते वक्त खतरा बढ़ जाता है।
ड्राइविंग के दौरान मोबाइल देखना तो गंभीर दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण बन सकता है।
एक सेकंड का ध्यान भटकना भी बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है।

8. सुस्त जीवनशैली — लंबे समय में बड़े नुकसान

ज्यादा मोबाइल चलाने का मतलब है कम चलना-फिरना।
यही आदत धीरे-धीरे वजन बढ़ाने, सुस्ती, थकान, दिल से जुड़ी बीमारियों और डायबिटीज जैसे जोखिम बढ़ा सकती है।कम हरकत करने का असर शरीर के लगभग हर हिस्से पर पड़ता है।

अपने लिए छोटे लेकिन असरदार उपाय

* हर 30–40 मिनट में फोन से ब्रेक लें, स्ट्रेच करें।

* ब्राइटनेस कम रखें और स्क्रीन दूरी थोड़ा बढ़ाएँ।

* सोने से 1 घंटा पहले स्क्रीन बंद कर दें।

* नोटिफिकेशन कम करें ताकि दिमाग शांत रहे।

* फोन पकड़े-पकड़े चैट न करें—फोन को टेबल पर रखें या हेडफोन का इस्तेमाल करें।

* दिन में एक “नो-फोन स्लॉट” रखें—जैसे खाना खाते समय, वॉक के दौरान या परिवार के साथ बैठते समय।

Khushi Chittoria
Khushi Chittoria

Khushi Chittoria joined Medical Dialogues in 2025 as a Media and Editorial Intern. She holds a degree in Bachelor of Arts in Journalism and Mass Communication from IP University and has completed certifications in content writing. She has a strong interest in anchoring, content writing, and editing. At Medical Dialogues, Khushi works in the editorial department, web stories and anchoring.