योग की शुरुआत करें 'सुखासन' के साथ, जानिए लाभ और विधि

आज की तेज़ और व्यस्त जीवनशैली में तनाव, चिंता और मानसिक असंतुलन आम समस्याएं बन गई हैं। ऐसे समय में योग एक प्रभावी साधन बन सकता है जो हमें मानसिक शांति और शारीरिक संतुलन प्रदान करता है। यदि योग की शुरुआत आसान और शांत मुद्रा से करनी हो, तो सुखासन इसे अपनाने के लिए सबसे उपयुक्त आसन है।
सुखासन एक सरल और प्रभावी योगासन है जिसे बच्चे, युवा और बुजुर्ग सभी आसानी से कर सकते हैं। भारतीय संस्कृति में पालथी मारकर बैठने की परंपरा रही है और सुखासन इसी की अनुशासित और व्यवस्थित विधि है। इसे अंग्रेजी में 'ईज़ी पोज' (Easy Pose) भी कहा जाता है। 'सुख' का अर्थ है आनंद और 'आसन' का अर्थ है बैठने की स्थिति। यह आसन शरीर को स्थिर करता है, मन को केंद्रित और शांत बनाता है, और मानसिक ऊर्जा को बढ़ाता है।
सुखासन करने के लिए योगा मैट पर सीधे बैठ जाएं। अपने पैरों को सामने फैलाएं, फिर दाहिने पैर को मोड़कर बाईं जांघ के नीचे रखें। इसी तरह बायां पैर भी मोड़कर दाहिनी जांघ के नीचे रखें। रीढ़, गर्दन और सिर को सीधा रखें। हाथों को घुटनों पर 'ज्ञान मुद्रा' में रखें या सामान्य रूप से रखें। आंखें बंद करें और गहरी, लंबी सांस लें। शुरुआत में 2 से 5 मिनट तक बैठें और धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं।
सुखासन के नियमित अभ्यास से तनाव कम होता है, मानसिक शांति मिलती है, ऊर्जा में वृद्धि होती है और शरीर को आराम मिलता है। यह पाचन में सुधार लाने और समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में भी मदद करता है। हालांकि, यदि घुटनों या कूल्हों में दर्द हो, तो इसे सावधानीपूर्वक करें या कुर्सी का सहारा लें। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्ति प्राणायाम या गहरी सांस लेने के दौरान सतर्क रहें।
सुखासन न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है बल्कि यह योगाभ्यास में ध्यान और प्राणायाम के लिए आधार भी तैयार करता है। इसे रोजाना अभ्यास में शामिल करने से शरीर और मन दोनों में संतुलन और सामंजस्य पैदा होता है, जिससे जीवन अधिक सुखद और तनावमुक्त बनता है।
With Inputs from IANS


