अब तक अल्ज़ाइमर रोग को एक ऐसी बीमारी माना जाता रहा है, जिसे ठीक नहीं किया जा सकता—सिर्फ उसकी रफ्तार को धीमा किया जा सकता है। इसी सोच के चलते दशकों से रिसर्च रोकथाम पर केंद्रित रही, न कि रिकवरी पर।

लेकिन केस वेस्टर्न रिज़र्व यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल्स और लुईस स्टोक्स क्लीवलैंड VA मेडिकल सेंटर के वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी ने इस धारणा को चुनौती दी है।

22 दिसंबर को Cell Reports Medicine में प्रकाशित इस शोध में यह जांचा गया कि क्या गंभीर अल्ज़ाइमर से प्रभावित दिमाग दोबारा ठीक हो सकता है। अध्ययन का नेतृत्व शोधकर्ता कल्याणी चौबे ने किया।

स्टडी में क्या सामने आया

शोधकर्ताओं ने पाया कि अल्ज़ाइमर का एक बड़ा कारण दिमाग में NAD+ नामक ऊर्जा अणु का गंभीर रूप से कम हो जाना है। उम्र के साथ NAD+ सभी में घटता है, लेकिन अल्ज़ाइमर रोगियों में इसकी कमी कहीं ज़्यादा होती है।

स्टडी में अल्ज़ाइमर के दो माउस मॉडल इस्तेमाल किए गए—एक एमिलॉयड से जुड़ा और दूसरा टाउ प्रोटीन से। दोनों में इंसानों जैसी गंभीर दिमागी क्षति और याददाश्त की समस्या देखी गई।

गंभीर अल्ज़ाइमर में भी सुधार

वैज्ञानिकों ने P7C3-A20 नामक दवा का इस्तेमाल कर दिमाग में NAD+ संतुलन बहाल किया। नतीजे चौंकाने वाले थे।

अल्ज़ाइमर से बुरी तरह प्रभावित चूहों में न सिर्फ दिमागी क्षति कम हुई, बल्कि याददाश्त और सोचने की क्षमता पूरी तरह लौट आई। साथ ही, इंसानों में इस्तेमाल होने वाला एक अहम ब्लड बायोमार्कर (p-tau217) भी सामान्य स्तर पर आ गया।

इसका क्या मतलब है

स्टडी के वरिष्ठ लेखक डॉ. एंड्रयू पाइपर के अनुसार, यह रिसर्च अल्ज़ाइमर को लेकर सोच बदल सकती है। “हमारी स्टडी उम्मीद देती है कि अल्ज़ाइमर से हुआ नुकसान हमेशा के लिए नहीं होता। कुछ परिस्थितियों में दिमाग खुद को ठीक कर सकता है।”

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि बाजार में मिलने वाले NAD+ सप्लीमेंट्स सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि वे कैंसर का जोखिम बढ़ा सकते हैं। इस स्टडी में इस्तेमाल की गई दवा संतुलन बनाए रखती है, न कि स्तर को खतरनाक रूप से बढ़ाती है।

आगे क्या

यह शोध फिलहाल जानवरों तक सीमित है, लेकिन इसे इंसानों पर आज़माने की तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए क्लिनिकल ट्रायल की ज़रूरत है। यह स्टडी अल्ज़ाइमर इलाज के भविष्य के लिए एक नई उम्मीद और नई दिशा दिखाती है।

Alzheimerbrain energymemory lossCase Western Reserve University

Topic:

वैज्ञानिकों ने पाया कि दिमाग की ऊर्जा को संतुलित करने से अल्ज़ाइमर के गंभीर लक्षणों वाले चूहों में याददाश्त और दिमागी कार्यक्षमता पूरी तरह लौट आई।
Kanchan Chaurasiya
Kanchan Chaurasiya

Kanchan Chaurasiya joined Medical Dialogues in 2025 as a Media and Marketing Coordinator. She holds a Bachelor's degree in Arts from Delhi University and has completed certifications in digital marketing. With a strong interest in health news, content creation, hospital updates, and emerging trends, Kanchan manages social media, news coverage, and public relations activities. She coordinates media outreach, creates press releases, promotes healthcare professionals and institutions, and supports health awareness campaigns to ensure accurate, engaging, and timely communication for the medical community and the public.