नई दिल्ली- निपाह वायरस जैसी जानलेवा बीमारी के खिलाफ एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता सामने आई है। निपाह वायरस के लिए विकसित की गई एक नई वैक्सीन ने शुरुआती क्लिनिकल ट्रायल में सुरक्षा और प्रभावशीलता के उत्साहजनक संकेत दिए हैं। यह वैक्सीन भविष्य में इस घातक संक्रमण की रोकथाम का एक मजबूत विकल्प बन सकती है।

वैज्ञानिक शोध पत्रिका द लैंसेट में प्रकाशित फेज़-1 रैंडमाइज़्ड क्लिनिकल ट्रायल के अनुसार, HeV-sG-V नाम की इस वैक्सीन की सभी डोज़ और डोज़ योजनाएं सुरक्षित पाई गईं और उन्होंने शरीर में प्रभावी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न की। इस अध्ययन का नेतृत्व अमेरिका के सिनसिनाटी चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर की शोध टीम ने किया।

शोधकर्ताओं के अनुसार, वैक्सीन लगने के एक महीने के भीतर शरीर में एंटीबॉडी बनने लगीं। दो डोज़ लेने वाले प्रतिभागियों में लंबे समय तक प्रतिरक्षा बनी रही। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह वैक्सीन प्रकोप के समय संक्रमण को तेजी से नियंत्रित करने और भविष्य में बचाव के लिए उपयोगी हो सकती है।

निपाह वायरस की पहचान पहली बार 1999 में मलेशिया में हुई थी। यह वायरस दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में समय-समय पर प्रकोप का कारण बनता रहा है। भारत में भी इसके कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां इसकी मृत्यु दर 40 से 75 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। यही कारण है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने निपाह वायरस को उच्च-प्राथमिकता वाले रोगजनकों की सूची में शामिल किया है। फिलहाल इस वायरस के लिए कोई स्वीकृत इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है।

इस अध्ययन में 18 से 49 वर्ष की आयु के 192 स्वस्थ प्रतिभागियों को शामिल किया गया। शोध में पाया गया कि एक ही डोज़ पर्याप्त नहीं थी, लेकिन दो डोज़ देने पर मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया देखने को मिली। सबसे बेहतर परिणाम उन प्रतिभागियों में मिले, जिन्हें 28 दिनों के अंतराल पर 100 माइक्रोग्राम की दो डोज़ दी गईं।

दूसरी डोज़ के केवल सात दिन बाद ही न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडी का स्तर तेजी से बढ़ गया। वैक्सीन के दुष्प्रभाव मामूली रहे। अधिकांश प्रतिभागियों में इंजेक्शन वाली जगह पर हल्के से मध्यम दर्द की शिकायत हुई। किसी भी व्यक्ति में गंभीर दुष्प्रभाव, अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु का कोई मामला सामने नहीं आया।

भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (ICMR-NIV) के वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन को निपाह वैक्सीन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बताया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब इस वैक्सीन के फेज़-2 ट्रायल किए जाने चाहिए, ताकि बड़े स्तर पर इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके।

निपाह वायरस एक उभरता हुआ जूनोटिक रोग है, जो जानवरों से इंसानों में फैलता है और गंभीर मस्तिष्क संक्रमण, श्वसन रोग और कई मामलों में मृत्यु का कारण बनता है। ऐसे में इस वैक्सीन का सफल विकास भविष्य में हजारों जानें बचाने में अहम भूमिका निभा सकता है। (With Inputs From IANS)

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Deshbandhu Singh is the Senior Managing Editor at Medical Dialogues and Health Dialogues with about three decades of experience in both print and digital journalism. Previously, he has held editorial leadership roles at NDTV (Head of Digital Content Strategy and Senior Executive Editor), India Today Group Digital, Hindustan Times, Times Internet, and Sahara India. He is known for his expertise in digital content strategy, newsroom operations, and the launch of leading web and mobile platforms in Indian media.