उभरती बीमारियों से निपटने की तैयारी: एआईआईएमएस में “वन हेल्थ फ्रेमवर्क” को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

नई दिल्ली: भारत में उभरती और दोबारा फैलने वाली संक्रामक बीमारियों से निपटने की तैयारी को मज़बूत करने के उद्देश्य से अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) नई दिल्ली, ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) और एपिडेमियोलॉजी फाउंडेशन ऑफ इंडिया (EFI) के सहयोग से एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला का विषय था — “सर्विलांस, डायग्नॉस्टिक्स और वन हेल्थ रिस्पॉन्स को मज़बूत करना।”
यह कार्यशाला एआईआईएमएस के जवाहरलाल सभागार में आयोजित हुई, जिसमें देशभर से मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य क्षेत्रों के प्रमुख विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और नीति-निर्माता शामिल हुए। चर्चा का मुख्य फोकस था — संयुक्त निगरानी प्रणाली, ज़ूनोटिक बीमारियों का नियंत्रण, एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) और विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता।
वन हेल्थ क्यों ज़रूरी है
विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पायरोसिस और निपाह वायरस जैसी बीमारियाँ लगातार चुनौती बनी हुई हैं। ये बीमारियाँ दिखाती हैं कि इंसानों, जानवरों और पर्यावरण का स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़ा हुआ है। तेज़ शहरीकरण, वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन ने इन जोखिमों को और बढ़ा दिया है।
“वन हेल्थ कोई सैद्धांतिक विचार नहीं, बल्कि भारत के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की आवश्यकता है,” कहा प्रो. उमेश कापिल, अध्यक्ष — एपिडेमियोलॉजी फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने। “संयुक्त निगरानी, साक्ष्य-आधारित डायग्नॉस्टिक और संस्थागत समन्वय ही मज़बूत स्वास्थ्य रणनीति की नींव हैं।”
कार्यशाला की मुख्य बातें
कार्यशाला में AIIMS, ICMR, NIE चेन्नई, CMC वेल्लोर, CSIR-NEERI और स्वास्थ्य मंत्रालय के विशेषज्ञों ने भाग लिया। मुख्य चर्चा विषयों में शामिल थे —
* राष्ट्रीय वन हेल्थ मिशन और ICMR के अंतर्गत भारत की प्रगति
* लेप्टोस्पायरोसिस, स्क्रब टाइफस और एवियन इन्फ्लूएंजा के केस स्टडी
* एआई (AI) आधारित डायग्नॉस्टिक्स और समुदाय-आधारित निगरानी से शुरुआती पहचान के नए उपाय
आगे की राह
भारत में हाल ही में स्थापित क्षेत्रीय वन हेल्थ केंद्रों और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वन हेल्थ (नागपुर) की शुरुआत को इस दिशा में बड़ी उपलब्धि बताया गया। प्रो. एम. श्रीनिवास, निदेशक — AIIMS नई दिल्ली, ने कहा: “AIIMS विभिन्न क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। वन हेल्थ को संस्थागत संस्कृति का हिस्सा बनाना होगा — शोध से लेकर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया तक।”
कार्यशाला का समापन इस आह्वान के साथ हुआ कि भारत को डेटा-शेयरिंग नेटवर्क, प्रयोगशाला प्रणालियों और डिजिटल सर्विलांस प्लेटफॉर्म को और मज़बूत करना होगा, ताकि मानव–पशु–पर्यावरण स्वास्थ्य से जुड़ी बीमारियों की पहचान और प्रतिक्रिया तेज़ी से हो सके।


