नई दिल्ली: नेशनल सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट फॉर डिसेबल्ड पीपल (NCPEDP) की एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में 80% से अधिक दिव्यांग लोग किसी भी तरह का स्वास्थ्य बीमा नहीं ले पाए हैं। इसका मतलब है कि देश की बड़ी दिव्यांग आबादी बिना किसी आर्थिक सुरक्षा के अपने इलाज का खर्च खुद उठाने को मजबूर है, जबकि कानून उनके अधिकारों की रक्षा करता है।

“इंक्लूसिव हेल्थ कवरेज फॉर ऑल” नाम की यह रिपोर्ट 34 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 5,000 से ज्यादा दिव्यांग लोगों पर किए गए सर्वे पर आधारित है। रिपोर्ट बताती है कि आधे से ज़्यादा लोग जब स्वास्थ्य बीमा के लिए आवेदन करते हैं, तो उन्हें बिना कोई वजह बताए मना कर दिया जाता है। इससे साफ़ होता है कि बीमा क्षेत्र में भेदभाव और पारदर्शिता की कमी अभी भी मौजूद है

अध्ययन में पाया गया कि दिव्यांग लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है—जैसे बहुत ज़्यादा प्रीमियम की मांग, दिव्यांगता से जुड़ी बीमारियों का कवरेज न मिलना, भारी-भरकम दस्तावेज़, और आयुष्मान भारत जैसी सरकारी योजनाओं में कम शामिल होना। इन कारणों से लगभग 16 करोड़ दिव्यांग नागरिक जरूरी स्वास्थ्य सुरक्षा से वंचित रह जाते हैं।

रिपोर्ट लॉन्च के दौरान NCPEDP ने सरकार और बीमा कंपनियों से अपील की कि वे सभी के लिए समान अंडरराइटिंग नियम बनाएं, पॉलिसी रिजेक्शन की स्पष्ट वजह बताएं और दिव्यांगों के लिए अधिक समावेशी सेवाएं शुरू करें। संस्था का कहना है कि इन बदलावों के बिना दिव्यांग लोगों के लिए सुरक्षित और समान स्वास्थ्य व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की जा सकती।

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Deshbandhu Singh is the Senior Managing Editor at Medical Dialogues and Health Dialogues with about three decades of experience in both print and digital journalism. Previously, he has held editorial leadership roles at NDTV (Head of Digital Content Strategy and Senior Executive Editor), India Today Group Digital, Hindustan Times, Times Internet, and Sahara India. He is known for his expertise in digital content strategy, newsroom operations, and the launch of leading web and mobile platforms in Indian media.