WHO का बड़ा बयान: वैक्सीन से ऑटिज़्म नहीं होता, पुराने भ्रम पर फिर से विराम

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक बार फिर स्पष्ट वैज्ञानिक निर्णय जारी किया है: वैक्सीन और ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) के बीच कोई कारणात्मक संबंध नहीं है। यह बयान WHO की Global Advisory Committee on Vaccine Safety (GACVS) द्वारा 2010 से 2025 के बीच प्रकाशित 31 उच्च-स्तरीय वैज्ञानिक अध्ययनों की समीक्षा के बाद सामने आया है।
अपने आधिकारिक नोट में WHO ने कहा: “वैक्सीन और ऑटिज़्म के बीच कारणात्मक संबंध का कोई प्रमाण नहीं है।” समिति के अनुसार, नवीनतम समीक्षा “बचपन और गर्भावस्था के दौरान उपयोग होने वाले वैक्सीन की सुरक्षित प्रोफ़ाइल को मजबूती से समर्थन करती है” और “यह पुष्टि करती है कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के साथ कोई कारणात्मक लिंक मौजूद नहीं है।”
विशेषज्ञों ने उन वैक्सीन पर भी अध्ययन किया जिनमें बहुत कम मात्रा में एल्युमीनियम साल्ट होते हैं, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बढ़ाने में मदद करते हैं। यह मूल्यांकन दो दशकों में प्रकाशित शोधों और डेनमार्क के राष्ट्रीय अध्ययन पर आधारित था, जिसमें 1997 से 2018 के बीच जन्मे बच्चों को ट्रैक किया गया।
WHO समिति ने निष्कर्ष निकाला कि उपलब्ध प्रमाण “दिखाते हैं कि कुछ वैक्सीन में उपयोग होने वाली एल्युमीनियम की सूक्ष्म मात्रा और ASD के बीच कोई संबंध नहीं है,” और यह सामग्री कई दशकों से सुरक्षित रूप से उपयोग की जा रही है।
समीक्षा के बाद, समूह ने 2002, 2004 और 2012 में जारी किए गए अपने पूर्व निष्कर्षों को दोहराया: “थायोमेरसल या एल्युमीनियम वाले टीकों सहित कोई भी वैक्सीन ऑटिज़्म पैदा नहीं करता।”
WHO ने सरकारों से अपील की कि वैक्सीन नीति विज्ञान आधारित बनी रहे, यह याद दिलाते हुए कि “वैश्विक बाल टीकाकरण प्रयास मानव जीवन, जीवन-यापन और सामाजिक समृद्धि को बेहतर बनाने वाली सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं।”
WHO की नई समीक्षा क्या पुष्टि करती है?
लगभग तीन दशकों के वैश्विक शोध की समीक्षा में WHO ने पाया:
- बच्चों के वैक्सीन और ऑटिज़्म के बीच कोई संबंध नहीं
- थायोमेरसल (mercury-based preservative) और ASD के बीच कोई संबंध नहीं
- एल्युमीनियम आधारित एडजुवेंट्स और ASD का कोई लिंक नहीं |
WHO ने ज़ोर देकर कहा: “अगर ऐसा कोई संबंध होता, तो कई सशक्त अध्ययनों में यह अब तक दिख चुका होता।”)
बैकग्राउंड: सबसे लंबे समय तक चलने वाले स्वास्थ्य मिथकों में एक
यह विवाद 1998 के एक अध्ययन से शुरू हुआ, जिसमें झूठा दावा किया गया कि MMR (Measles–Mumps–Rubella) वैक्सीन बच्चों में ऑटिज़्म पैदा कर सकती है। बाद में यह शोध धोखाधड़ीपूर्ण, त्रुटिपूर्ण और जानबूझकर भ्रामक पाया गया। अध्ययन वापस ले लिया गया और प्रमुख लेखक का मेडिकल लाइसेंस भी रद्द कर दिया गया।
इसके बावजूद, यह मिथक गलत सूचनाओं, सोशल मीडिया नैरेटिव और वैक्सीन हिचकिचाहट वाले समूहों के बीच वर्षों तक फैलता रहा। WHO ने इसे “सबसे हानिकारक और लगातार फैलने वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य मिथकों में से एक” कहा है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
वैक्सीन आधुनिक सार्वजनिक स्वास्थ्य की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक हैं और दुनियाभर में लाखों लोगों की जान बचा चुके हैं। WHO ने चेतावनी दी कि वैक्सीन सुरक्षा से जुड़ी गलत जानकारी भ्रम फैलाती है और टीकाकरण दरों को कम कर देती है — जिससे बच्चों और समुदायों दोनों को खतरा पैदा होता है। पिछले 50 वर्षों में, WHO के अनुसार, टीकाकरण ने कम-से-कम 15.4 करोड़ (154 मिलियन) जीवन बचाए हैं।


