शरीर को सर्वाइवल मोड में डाल देती है नींद की कमी, दिमाग लेने लगता है माइक्रो-स्लीप

थकी आँखें, माइक्रो-स्लीप संकेत
नई दिल्ली: अच्छी नींद सौ रोगों की एक दवा है, लेकिन नींद पूरी न हो तो यही कमी दिल, दिमाग और पूरे शरीर को बीमार बना सकती है। कम नींद न सिर्फ थकान लाती है, बल्कि स्ट्रेस और वजन बढ़ाने का कारण बनती है, पाचन बिगाड़ती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती है।
सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा ने बताया कि नींद की कमी शरीर को सर्वाइवल मोड में डाल देती है, जहां बायोलॉजी खुद कंट्रोल ले लेती है। उन्होंने बताया कि शरीर कैलेंडर या व्यस्तता का इंतजार नहीं करता। कम नींद आने पर वह स्ट्रेस सर्वाइवल मोड में चला जाता है, जहां बायोलॉजी कंट्रोल ले लेती है। कम नींद से दिमाग माइक्रो-स्लीप लेने लगता है।
इसमें आंखें खुली रहते हुए 3-15 सेकंड के छोटे झपकी, जो सुरक्षा के लिए होती है। एक रात की कम नींद से कोर्टिसोल (स्ट्रेस हार्मोन) 37 प्रतिशत बढ़ जाता है, जिससे पेट की चर्बी, भूख, चिंता और इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ती है।
इससे पाचन भी प्रभावित होता है। आंतों में ब्लड फ्लो कम होने से गैस्ट्रिक मोटिलिटी 40 प्रतिशत तक घट जाती है और आंतें लीक होने लगती हैं। कम नींद से फैट बर्न 55 प्रतिशत तक कम हो जाता है। भावनात्मक रूप से भी असर पड़ता है। भावनाएं 60 प्रतिशत तेज हो जाती हैं, क्योंकि लॉजिक वाला दिमागी हिस्सा कमजोर पड़ जाता है। सबसे चिंताजनक है इम्यून सिस्टम, एक रात की अधूरी नींद से नेचुरल किलर सेल्स की ताकत 50 प्रतिशत तक गिर जाती है।
पूजा ने कई वैज्ञानिक स्टडीज का हवाला दिया और कहा कि नींद शरीर का मेंटेनेंस टाइम है। इसे नजरअंदाज करने से बायोलॉजी खुद फैसला ले लेती है। उन्होंने सलाह दी कि आराम खुद चुनें, वरना शरीर जबरन ले लेगा। विशेषज्ञ भी कहते हैं कि 7-8 घंटे की नींद स्वास्थ्य की कुंजी है।
वहीं, आयुर्वेद के अनुसार नींद की कमी मुख्य रूप से वात और पित्त दोष के असंतुलन से होती है। इसे दूर करने के लिए घरेलू उपाय अपनाएं। रात को सोने से पहले गर्म दूध में चुटकीभर जायफल या हल्दी मिलाकर पिएं। यह मन को शांत करता है और गहरी नींद लाता है। अश्वगंधा, ब्राह्मी या जटामांसी का चूर्ण दूध के साथ लें, जो तनाव कम करता है। पैरों के तलवों पर तिल के तेल से मालिश करें।
नियमित दिनचर्या बनाएं, समय पर सोएं-उठें, शाम को हल्का भोजन लें, और स्क्रीन से दूर रहें। शिरोधारा या अभ्यंग जैसे उपचार भी लाभकारी हैं। योगासन और प्राणायाम करें। इनसे दोष संतुलित होते हैं और स्वाभाविक नींद वापस आती है।
[10:14 am, 29/12/2025] Deshbandhu Sir (MD): शरीर में पित्त बढ़ने का संकेत है बार-बार मुंह में हो रहे छाले, अनदेखा करना पड़ सकता है भारी
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (आईएएनएस)। मुंह में होने वाले छालों को साधारण मानकर अनदेखा कर दिया जाता है, क्योंकि धारणा यही है कि पेट की गर्मी से मुंह में छाले होते हैं, लेकिन ये पूरा सच नहीं है।
मुंह में होने वाले छालों के कई कारण होते हैं, जो ज्यादा बढ़ जाने पर तकलीफ देते हैं। जलन और दर्द के कारण खाना-पीना मुश्किल हो जाता है और साथ ही कई बार बोलने में भी परेशानी होने लगती है। आज हम आपको मुंह के छाले होने का कारण और उपाय दोनों बताएंगे।
बार-बार मुंह में हो रहे छाले सामान्य बात नहीं है, क्योंकि यह खराब पाचन का संकेत है। खराब पाचन पेट के साथ-साथ मुंह, आंत, लिवर समेत कई अंगों को प्रभावित करता है। आयुर्वेद ने मुंह के छालों को पित्त से जोड़ा है। शरीर में पित्त बढ़ने से छाले होते हैं और अगर स्थिति गंभीर है तो यही मुंह के छाले श्वास नली तक पहुंच जाते हैं और पेट में अल्सर की परेशानी भी हो सकती है। इसके अलावा, पेट की गर्मी, विटामिन B12 की कमी, कब्ज, ज्यादा मसालेदार भोजन और मुंह में संक्रमण की वजह से भी छाले हो सकते हैं।
मुंह के छालों से निपटने के लिए आयुर्वेद में कई तरह के उपाय बताए गए हैं। पहला मुलेठी पाउडर और शहद का सेवन करना। दिन में दो बार मुलेठी पाउडर और शहद का सेवन करने से पेट ठंडा रहता है।
दूसरा त्रिफला चूर्ण। त्रिफला चूर्ण को रात के समय गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए। इससे पेट की गर्मी में कमी होती है और कब्ज से छुटकारा मिलता है। अगर पेट साफ रहेगा तो मुंह के छाले परेशान नहीं करेंगे।
तीसरा, नारियल पानी। प्राकृतिक रूप से नारियल पानी की तासीर ठंडी होती है और ये पाचन शक्ति को बढ़ाने में भी मदद करता है। दिन में दो बार नारियल पानी का सेवन करें। अगर छाले बहुत ज्यादा हैं तो रात के समय जीभ पर घी में मिश्री मिलाकर लगाएं। ये नुस्खा छालों की जलन को कम करने में मदद करेगा। इसके साथ फिटकरी को पानी में घोलकर कुल्ले करें।
इससे मुंह का संक्रमण कम होगा। उपाय के साथ-साथ खाने-पीने में परहेज करना भी जरूरी है। गर्म और ज्यादा मिर्च-मसालेदार खाने से बचें और ठंडे व तरल पदार्थ लें। दही, छाछ और ठंडे फलों का सेवन करें। अगर छाले 7 दिन में ठीक न हों, बार-बार हों या दर्द ज्यादा हो तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें।


