नई दिल्ली: डिप्रेशन के इलाज में एंटीडिप्रेसेंट दवाओं का इस्तेमाल आम है, लेकिन इनके बारे में फैली गलत जानकारी अब भी लोगों को उपचार शुरू करने से रोकती है। "लत लग जाना", "भावनाएँ दब जाना" या "हमेशा दवा पर निर्भर रह जाना" — ऐसी धारणाएँ कई बार मरीजों को डराती हैं। तथ्य और विशेषज्ञ राय बताती है कि सच इससे काफी अलग है।

1. मिथक: Antidepressants सिर्फ serotonin बढ़ाती हैं

सच: दवाएँ केवल केमिकल बैलेंस नहीं, बल्कि दिमाग की न्यूरोप्लास्टिसिटी बढ़ाने में मदद करती हैं। यानी दिमाग नई कनेक्शंस बनाता है, मूड कंट्रोल बेहतर होता है और लंबे समय में राहत मिलती है।

2. मिथक: दवा पर्सनैलिटी बदल देती है

सच: इनका उद्देश्य व्यक्ति को बदलना नहीं, बल्कि अत्यधिक उदासी, घबराहट, थकान जैसे लक्षण कम करना है। सही दवा और खुराक पर लोग अक्सर खुद जैसा महसूस करने लगते हैं। किसी भी असुविधा में डॉक्टर खुराक समायोजित कर सकते हैं।

3. मिथक: Antidepressants की लत लग जाती है

सच: ये नशीली दवाओं की तरह craving नहीं पैदा करतीं। हाँ, दवा बंद करने के लिए डॉक्टर धीरे-धीरे tapering की सलाह देते हैं ताकि शरीर आराम से बदलाव अपनाए।

4. मिथक: दवा तुरंत असर दिखाती है

सच: एंटीडिप्रेसेंट instant mood-fix नहीं हैं। असर दिखने में औसतन 3 से 6 सप्ताह लग सकते हैं। इन्हें थेरेपी, नींद और सपोर्टिव लाइफस्टाइल के साथ उपयोग करना ज्यादा प्रभावी माना जाता है।

5. मिथक: Side effects बहुत भारी होते हैं

सच: शुरुआती हफ्तों में हल्की नींद/भूख बदलाव, nausea या पाचन असुविधा संभव है, जो समय के साथ कम हो सकती है। लगातार परेशानी हो तो दवा या dose बदली जा सकती है।

6. मिथक: दवा शुरू की तो ज़िंदगी भर लेनी पड़ेगी

सच: यह मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है। कई लोग कुछ महीनों या साल में दवा छोड़ देते हैं। दोबारा एपिसोड के जोखिम वाले मरीजों में डॉक्टर उपचार थोड़ा लंबा जारी रखने की सलाह दे सकते हैं।

क्यों समझना ज़रूरी है?

गलतफहमियाँ मरीजों को समय पर इलाज लेने से रोकती हैं, जबकि सही इलाज जीवन की गुणवत्ता, रिश्तों और कामकाज में बड़ा फर्क ला सकता है। मानसिक स्वास्थ्य उतना ही वास्तविक है जितना शारीरिक बीमारी। मदद लेना कमजोरी नहीं — रिकवरी की शुरुआत है।

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एंटीडिप्रेशेंट दवाओं से जुड़े आम मिथकों को जानें—क्या सच है, क्या नहीं। विशेषज्ञ बताते हैं कैसे ये दवाएँ वाकई काम करती हैं।
Kanchan Chaurasiya
Kanchan Chaurasiya

Kanchan Chaurasiya joined Medical Dialogues in 2025 as a Media and Marketing Coordinator. She holds a Bachelor's degree in Arts from Delhi University and has completed certifications in digital marketing. With a strong interest in health news, content creation, hospital updates, and emerging trends, Kanchan manages social media, news coverage, and public relations activities. She coordinates media outreach, creates press releases, promotes healthcare professionals and institutions, and supports health awareness campaigns to ensure accurate, engaging, and timely communication for the medical community and the public.