सर्दियों में क्यों बढ़ जाती है खर्राटों की समस्या? जानें इसके वैज्ञानिक कारण

सर्दियों में ठंड से नाक जाम होती है, इसलिए खर्राटों की समस्या बढ़ जाती है।
नई दिल्ली- दुनियाभर में लाखों लोग खर्राटों की समस्या से परेशान हैं। अक्सर इसे एक सामान्य आदत समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन लगातार आने वाले खर्राटे न सिर्फ आपकी नींद की गुणवत्ता खराब करते हैं, बल्कि धीरे-धीरे सेहत पर भी नकारात्मक असर डाल सकते हैं। खासतौर पर सर्दियों के मौसम में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है।
खर्राटे तब आते हैं जब सोते समय सांस लेने का रास्ता पूरी तरह खुला नहीं रहता। नींद के दौरान शरीर की मांसपेशियां ढीली हो जाती हैं, जिनमें गले और जीभ की मांसपेशियां भी शामिल होती हैं। जब ये मांसपेशियां ढीली पड़ती हैं, तो हवा के आने-जाने का रास्ता संकरा हो जाता है। ऐसे में जब हवा इस संकरे रास्ते से गुजरती है, तो गले के अंदर मौजूद नरम ऊतक कंपन करने लगते हैं और यही कंपन खर्राटों की आवाज पैदा करता है।
हर व्यक्ति में खर्राटों के कारण अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों की नाक या गले की बनावट ऐसी होती है कि उन्हें जल्दी खर्राटे आने लगते हैं। किसी का सॉफ्ट पैलेट मोटा होता है, तो किसी की जीभ थोड़ी बड़ी होती है। वहीं कुछ लोगों की गर्दन के आसपास ज्यादा चर्बी जमा हो जाती है, जिससे सांस की नली पर दबाव पड़ता है और खर्राटे बढ़ जाते हैं।
सर्दियों में यह समस्या इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि इस मौसम में हवा ठंडी और सूखी होती है। जब हम ऐसी हवा सांस के साथ अंदर लेते हैं, तो नाक और गले की अंदरूनी सतह सूखने लगती है। इससे वहां हल्की जलन और सूजन आ सकती है, जिससे सांस का रास्ता और संकरा हो जाता है। नतीजतन, सोते समय सांस लेने पर कंपन ज्यादा होता है और खर्राटे तेज हो जाते हैं।
इसके अलावा सर्दियों में सर्दी-जुकाम, एलर्जी और साइनस जैसी समस्याएं भी आम होती हैं। नाक बंद होने पर व्यक्ति मुंह से सांस लेने लगता है, जिससे खर्राटों की संभावना और बढ़ जाती है।
कुछ लोगों में खर्राटों का खतरा ज्यादा होता है। मोटापा इसका एक बड़ा कारण है, क्योंकि गर्दन के आसपास जमा फैट सांस की नली को दबा देता है। उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियों की मजबूती कम होती है, इसलिए बुजुर्गों में खर्राटे ज्यादा देखने को मिलते हैं। शराब पीने वालों और नींद की दवाइयों का सेवन करने वालों में भी यह समस्या आम है, क्योंकि ये गले की मांसपेशियों को जरूरत से ज्यादा ढीला कर देती हैं।
खर्राटों को कम करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव काफी मददगार हो सकते हैं। सोने की सही पोजिशन बहुत अहम है। पीठ के बल सोने की बजाय करवट लेकर सोने से सांस का रास्ता खुला रहता है और खर्राटे कम आते हैं। रात में बहुत भारी खाना खाने से बचना चाहिए, क्योंकि भरा हुआ पेट सांस लेने में बाधा पैदा कर सकता है।
सर्दियों में कमरे की हवा में नमी बनाए रखना भी जरूरी है। बहुत ज्यादा सूखी हवा नाक और गले को नुकसान पहुंचाती है। हल्की नमी से सांस की नली आराम में रहती है। इसके अलावा गुनगुने पानी से भाप लेना नाक को खोलने और कफ को ढीला करने में मदद करता है, जिससे खर्राटों की समस्या में राहत मिल सकती है।
(With Inputs From IANS)


