नई दिल्ली: भारत में पान के पत्तों का महत्व सदियों पुराना है। इसका इस्तेमाल 400 ईसा पूर्व से होता आ रहा है। आयुर्वेद और आधुनिक शोध दोनों ही पान के पत्तों के औषधीय गुणों को मानते हैं।

आयुर्वेद की किताबों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और कश्यप भोजनकल्प में खाने के बाद पान चबाने की प्रथा का जिक्र मिलता है। यह प्रथा 75 से 300 ईस्वी के बीच लोकप्रिय थी। 13वीं सदी में यूरोपीय यात्री मार्को पोलो ने भी भारत में राजाओं द्वारा पान चबाने का वर्णन किया।

अमेरिकन नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, पान के पत्तों में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट, सूजन कम करने वाले, शुगर कंट्रोल करने वाले, अल्सर कम करने वाले और संक्रमण रोकने वाले गुण होते हैं। पान मुंह की सफाई बनाए रखने में मदद करता है और शरीर को कई बीमारियों से बचाता है। इसके अलावा, पान में कैल्शियम, विटामिन C, राइबोफ्लेविन, कैरोटीन, नियासिन और क्लोरोफिल जैसे पोषक तत्व भी पाए जाते हैं।

आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि सुबह खाली पेट ताजा पान का पत्ता चबाने से पाचन तंत्र मजबूत होता है। अपच, कब्ज, डकार और गैस जैसी समस्याएं दूर होती हैं। यह खांसी-सर्दी में राहत देता है और घाव भरने में भी मदद करता है। पान का काढ़ा पीने से भी कई लाभ मिलते हैं, जैसे सर्दी-खांसी में आराम और इम्यूनिटी बढ़ना।

पान के पत्ते शरीर को संक्रमण से बचाते हैं, पाचन सुधारते हैं, और समग्र स्वास्थ्य को मजबूत बनाते हैं। हालांकि, कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है। पान खाते समय चूने की जगह गुलकंद, सौंफ, बीज या मेवे मिलाना फायदेमंद होता है।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि दिन में 2-3 पान से ज्यादा न खाएं। वहीं, ताजा पान फायदेमंद है, तो बासी पान नुकसानदेह हो सकता है, क्योंकि इसमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जो पेट खराब कर अन्य स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं।

digestioninfectionbetel leaf

Topic:

पान का पत्ता संक्रमण से बचाव करता है और पाचन सुधारता है। इसके औषधीय गुण गैस, अपच और मुंह की दुर्गंध में राहत देते हैं।
IANS
IANS