तनाव सामान्य है, पर Anxiety नहीं—कैसे फर्क समझें

नई दिल्ली: जिंदगी की तेज़ रफ़्तार में तनाव महसूस होना सामान्य है। पढ़ाई-कॉलेज का दबाव, नौकरी की डेडलाइन, घर की जिम्मेदारियाँ—ये सब मन पर असर डालते हैं। थोड़ी चिंता फायदेमंद भी होती है, क्योंकि यह हमें सतर्क रखती है। लेकिन जब दिमाग हमेशा भागता रहे, लगातार डर बना रहे और दिल बिना वजह तेज़ धड़के—तो यह साधारण तनाव नहीं, Anxiety Disorder हो सकता है।
चिंता सिर्फ मन में नहीं रहती, शरीर पर भी दिखाई देती है। विदेशों में Journal of Anxiety Disorders, 2022 की स्टडी बताती है कि लगातार नकारात्मक विचारों में फंसना और तुलना व प्रतियोगिता वाला माहौल Anxiety को कई गुना बढ़ा देता है। वहीं National Institute of Mental Health (NIMH) के अनुसार, कम नींद, हॉर्मोनल बदलाव, स्क्रीन ओवरयूज़ और निरंतर तनाव Anxiety को ट्रिगर करते हैं। यही वजह है कि छोटी-सी बात भी कई लोगों को भारी लगने लगती है।
क्यों बढ़ रही है Anxiety?
चिंता किसी एक वजह से नहीं होती। कई छोटे कारण मिलकर इसे बड़ा बना देते हैं।
आज के डिजिटल और तेज़ लाइफस्टाइल में दिमाग को आराम का समय ही नहीं मिल पाता। सोशल मीडिया के लाइक-फॉलो, दूसरों से तुलना, “सबकुछ perfect दिखाने” की कोशिश—मस्तिष्क को लगातार एक्टिव रखती है। शरीर इस स्थिति को खतरा समझकर अलर्ट मोड में चला जाता है—सांस तेज़, धड़कन बढ़ी हुई, नींद कम और ध्यान भटकने लगता है।
समस्या तब होती है जब ये स्थिति हफ्तों- महीनों तक बनी रहे और रोज की दिनचर्या को प्रभावित करने लगे।
कब समझें कि चिंता सामान्य सीमा पार कर चुकी है?
अगर नीचे दिए संकेत बार-बार दिखें, तो ध्यान देना जरूरी है:
- दिल तेज़ धड़कना, हाथ-पैर काँपना, पसीना
- बिना वजह बेचैनी, डर या worst-case सोच
- नींद टूटना या मुश्किल से नींद आना
- ध्यान न लगना, चिड़चिड़ापन बढ़ना
- पेट गड़बड़, भूख कम/ज्यादा
- सिर भारी रहना, थकान
- भीड़ या मीटिंग में घबराहट
ये शरीर के SOS सिग्नल हैं—इन्हें अनदेखा न करें।
क्या Anxiety बीमारी बन सकती है?
जी हाँ। लंबे समय तक अनदेखा किया गया तनाव धीरे-धीरे चिंता विकार (Anxiety Disorder) का रूप ले सकता है। यह रिश्तों, काम, पढ़ाई और आत्मविश्वास पर सीधा असर डाल सकती है। कई लोग इसे सामान्य स्ट्रेस समझकर नजरअंदाज़ कर देते हैं—यहीं गलती होती है।
समय रहते पहचान ली जाए तो स्थिति को संभालना पूरी तरह संभव है।
क्या करें? Anxiety कम करने के आसान कदम
- रोज़ 20–30 मिनट वॉक या योग
- स्क्रीन और कैफीन कम करें
- सोने का समय तय करें, नींद पूरी लें
- Deep breathing, mindfulness, journaling
- भरोसेमंद व्यक्ति से बात करें
- जरूरत लगे तो मनोवैज्ञानिक/थैरेपिस्ट से सलाह
- मदद मांगना कमजोरी नहीं, समझदारी है।
चिंता कोई शर्म की बात नहीं—यह एक स्वास्थ्य स्थिति है, जैसे बुखार या कमजोरी। फर्क सिर्फ इतना कि इसे अक्सर छुपा लिया जाता है।
याद रखें—दिमाग थकता है, उसे भी आराम चाहिए।
अगर आपका मन बार-बार भारी महसूस करता है, संकेतों को पहचानें और खुद से पूछें— क्या मैं ठीक हूँ?
अगर जवाब ‘नहीं’ है, तो कदम उठाएँ। आज समझेंगे, तो कल संभालना आसान होगा।


